हिमाचल में कमाई के चक्कर में धराशायी हो रही पैराग्लाइडिंग, मनमर्जी से उड़ान भरकर भटक जाते हैं पायलट
शिमला के जुन्गा में पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल में एक पायलट दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा। हिमाचल में पैराग्लाइडिंग दुर्घटनाएँ आम हैं, जिसका मुख्य कारण पायलटों का लालच और सुरक्षा नियमों की अनदेखी है। विभाग में विशेषज्ञों की कमी है, और दुर्घटनाओं में पर्यटकों की जान जाती है। सरकार अब ड्रोन-सर्विलांस और डिजिटल पायलट रजिस्ट्रेशन से सुरक्षा बढ़ाने की योजना बना रही है।

हिमाचल में पैराग्लाइडिंग के दौरान नियमों की अनदेखी से हो रहे हादसे।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। शिमला के निकट जुन्गा क्षेत्र में हाल ही में आयोजित पैराग्लाइडिंगफेस्टिवल के दौरान एक पायलट गंभीर दुर्घटना का शिकार होने से बच गया। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि हर वर्ष पैराग्लाइडिंग से जुड़ी दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें कई बार पर्यटकों की जान भी जाती है। देवभूमि हिमाचल में पैराग्लाइडिंग का खेल भगवान भरोसे ही चल रहा है।
दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यह है कि व्यावसायिक तौर पर पैराग्लाइडिंग करवाने वाले पायलट 2500 से लेकर 4500 रुपये की कमाई के लालच में कई बार विपरीत मौसम में भी उड़ान भरने से नहीं चूकते। पायलट हवा की गति को नजरअंदाज करता है। पैराग्लाइडिंग के लिए चिह्नित रूट से अलग पायलट मनमर्जी से उड़ान भरकर भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं।
वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान में 1987 में एयरोस्पोर्ट्स अधिकारी का पद सृजित किया गया था, लेकिन आज तक इस पदपरकिसीपात्र व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई है। हर साल अक्टूबर से नवंबर के अंत तक कांगड़ा, कुल्लू और चंबा जिलों में कई देशों के पायलटपैराग्लाइडिंग का आनंद लेने आते हैं।
इस खेल में राज्य पर्यटन एवं नागरिक उड्डयनविभागमें 1500 पैराग्लाइडरों का पंजीकरण है और 1500 पायलट पर्यटकों को पैराग्लाइडिंग करवाते हैं। इस उभरते व्यवसाय से प्रदेश में लगभग 20 हजार परिवार जुड़े हुए हैं। 10 करोड़ रुपये से निर्मित बीड-बिलिंगएयरोस्पेस केंद्र में चार कमरे ही संस्थान के पास उपलब्ध हैं।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी करते हैं संचालन
जिला पर्यटन विकास अधिकारी, एयरोस्पोर्ट्स का संचालन करते हैं, लेकिन उन्हें इस क्षेत्र का तकनीकी ज्ञान नहीं होता। पायलट का पंजीकरण और अन्य औपचारिकताएं इन्हीं के द्वारा पूरी की जाती हैं। 2004 मेंसरकारनेएयरोस्पोर्ट्स के लिए नियम बनाए थे और हिमाचल प्रदेश इस दिशा में पहला राज्य बना।
विभाग के निदेशक के दिशानिर्देश में कमेटी और सबकमेटी का गठन किया गया था। 2022 में एयरोस्पोर्ट्स के नियमों में संशोधन किया गया, लेकिन मनाली स्थित पर्वतारोहण संस्थान में तकनीकी और अन्य विशेषज्ञों की भर्ती नहीं की गई है।
28 चिह्वित व पंजीकृत पैराग्लाइडिंगसाइट
प्रदेश के कांगड़ा जिला, कुल्लू व चंबा सहित 11 जिलों (ऊना को छोड़कर) कुल 28 चिह्वित और पंजीकृत पैराग्लाइडिंगसाइट्स हैं। प्रदेश के इन जिलों में 1500 पैराग्लाइडरपंजीकृत हैं। सीजन के दौरान प्रति पायलट एक दिन में तीन उड़ानें करवाता है। पूरे सीजन के दौरान करीब दो लाख उड़ानें होती हैं।
पायलट की गलती से ही अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं। जितनी भी दुर्घटनाओं की जांच रिपोर्ट आती हैं, उसमें सामने आता है कि पायलट ने पर्यटक को सुरक्षा की दृष्टि से बेल्ट नहीं बांधी थी। यह भी प्रमुख कारण रहता है कि विपरीत मौसम में पायलट उड़ान भरते हैं, जो दुर्घटना काकारण बनता है।
दो साल के दौरान संस्थान में 600 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। ये प्रशिक्षण पांच दिन का रहता है। सामान्य तौर पर प्रदेश की पैराग्लाइडिंगसाइट्स पर 40 देशों के पायलटपैराग्लाइडिंग करने के लिए आते हैं, जिनमें चीन, मलेशिया, रूस, जर्मनी, इटली, आस्ट्रेलिया सहित अन्य देश भी शामिल हैं।-अविनाश नेगी, निदेशक, अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली।
एयरोस्पोर्ट्स के नियम
राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश एयरोस्पोर्ट्स नियम के तहत हर पायलट और आपरेटर का पंजीकरण, लाइसेंस और प्रशिक्षण अनिवार्य किया है। 2025 में नियमों में संशोधन करते हुए एसआइवी यानी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग भी जरूरी करदी गई। इसके साथ जिला पर्यटन विकास अधिकारी (डीटीडीओ) और तकनीकी समितियां हर साइट की स्वीकृति और निरीक्षण करती हैं। पैराग्लाइडिंगसाइट्स पर सुरक्षा प्रबंधों के संबंध में भी निर्देश दिए जाते हैं, जिनमें मार्शल की तैनाती, एंबुलेंस का प्रबंध प्रमुख है।
कुल्लू व कांगड़ा में हुए हादसे
दो वर्षों में कुल्लू और कांगड़ा जिलों में कई दुर्घटनाएं हुईं। जनवरी 2025 में कुल्लू के गडसा में हवा में टक्करसेतमिलनाडु के युवक की मौत हुई। हाल ही में बिलिंग (कांगड़ा) में विश्व प्रसिद्ध साइट पर बेल्जियम और कनाडा के पायलटों की जानें गईं। धर्मशाला के इंद्रुनाग में जुलाई 2025 में अहमदाबाद के पर्यटक की दुर्घटना में मौत हुई। बिलिंगसाइट विश्व की सर्वश्रेष्ठ पैराग्लाइडिंग जगहों में शामिल है।
जहां 2015 में विश्व कप भी हुआ था। परंतु विशेषज्ञों का कहना है, हवा जितनी ऊंची उड़ान देती है, उतनी ही सावधानी भी मांगती है। सरकार अब ड्रोन-सर्विलांस और डिजिटलपायलटरजिस्ट्रेशन से सुरक्षा को नई ऊंचाई देने की दिशा में काम कर रही है।

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