Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आपदा का पता लगाने वाले निगरानी केंद्र राज्य सरकार से साझा करेंगे जानकारी, Observatory स्टेशन के लिए NOC जरूरी

    By Parkash BhardwajEdited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Mon, 27 Nov 2023 10:54 PM (IST)

    मौमस भूकंप और बाढ़ आने की चेतावनी देने के लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के विभागों ने राज्य में तंत्र स्थापित किया हुआ है। लेकिन कोई भी एजेंसी सरकार के साथ डाटा सांझा नहीं करती है। इस साल राज्य में आई प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि मौसम बाढ़ या भूकंप की निगरानी रखने वाले केंद्रों को राज्य सरकार के साथ जानकारी आदान-प्रदान करनी होगी।

    Hero Image
    आपदायिक स्थिती का पता लगाने वाले निगरानी केंद्र राज्य सरकार के साथ साझा करेंगे जानकारी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। राज्य में मौमस, भूकंप और बाढ़ आने की चेतावनी देने के लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के विभागों ने तंत्र स्थापित किया हुआ है। लेकिन कोई भी एजेंसी सरकार के साथ डाटा सांझा नहीं करती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल 529 निगरानी केंद्र स्थापित हैं। इस वर्ष राज्य में आई प्राकृतिक आपदा और अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति के बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि मौसम की जानकारी एकत्र करने वाले केंद्र हों, डैमों पर पानी का स्तर आंकने के लिए लाए गए बाढ़ निगरानी केंद्र या फिर भूकंपीय हलचल की निगरानी केंद्र हों। इस सभी संस्थानों को राज्य सरकार के साथ जानकारी का आदान-प्रदान करना होगा।

    निगरानी केंद्र स्थापित करने वाले संस्थान को सरकार से लेनी होगी एनओसी

    इसके अतिरिक्त राज्य में पहली बार ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि किसी भी तरह का निगरानी केंद्र यानि ऑब्जर्वेटरी स्टेशन स्थापित करने वाले संस्थान को सरकार से एनओसी, अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। प्रदेश सरकार के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास आवेदन करना होगा और आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।

    उसके बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से अध्ययन किया जाएगा कि किन क्षेत्रों में तीन प्रकार के निगरानी केंद्रों में से कौन सा निगरानी केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है, सरकार अपने स्तर पर स्थापित करेगा। ताकि प्रदेश को मौसम में होने वाले परिवर्तनों से सुरक्षित रखने के लिए जानकारी प्राप्त हो सके।

    डैम प्रबंधन सरकार के साथ नहीं करता था डाटा सांझा

    इसी तरह से हिमाचल भूकंपीय संवेदनशील जोन के चार-पांच में आता है और इस तरह के केंद्रों की जानकारी राज्य के लोगों का जीवन सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

    ये भी पढे़ं- आपदा में नुकसान के आकलन में पटवारी ने बरती अनियमितताएं, तत्काल निलबिंत

    वर्तमान में प्रदेश के डैमों में 72 बाढ़ की जानकारी देने के लिए निगरानी केंद्र काम कर रहे हैं। लेकिन कोई भी डैम प्रबंधन बाढ़ के आपदाकाल से पहले सरकार के साथ डाटा सांझा नहीं करता था।

    मुख्य सचिव के पत्र का प्रभाव

    इस वर्ष मानसून के दौरान प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और बाढ़ आने के बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाया। 26 अगस्त को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उच्च स्तरीय आधिकारिक बैठक में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए थे।

    उसके बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की ओर से सभी डैम प्रबंधन सहित अन्य संस्थाओं को पत्र लिखा गया था। उसका परिणाम ये रहा कि सरकार के पास दैनिक आधार पर डाटा पहुंचने लगा।

    ये भी पढ़ें- नगरोटा बगवां के जसौर में हुए दोहरे हत्याकांड के आरोपित दीपक ने 26 दिनों बाद किया आत्मसमर्पण

    comedy show banner
    comedy show banner