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    'मंत्रियों-विधायकों ने बढ़ा लिया अपना वेतन, हमारे लिए आर्थिक तंगी'; कर्मचारी महासंघ ने सुक्खू सरकार को दी चेतावनी

    हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं। संयुक्त कर्मचारी महासंघ के बैनर तले शिमला में अधिवेशन आयोजित किया गया जिसमें कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि संशोधित वेतनमान का लाभ नियमितिकरण और पदोन्नति सहित विभिन्न मांगों को उठाया। सरकार को चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया तो वे आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।

    By Anil Thakur Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 07 Apr 2025 10:32 PM (IST)
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    कर्मचारी महासंघ ने सुक्खू सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा। फोटो जागरण

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल के सरकारी विभागों, बोर्ड व निगमों में कार्यरत कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं। सोमवार को संयुक्त कर्मचारी महासंघ के बैनर तले शिमला के कालीबाड़ी हॉल में कर्मचारियों का अधिवेशन आयोजित किया गया।

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    प्रदेश के हर जिला में संयुक्त कर्मचारी महासंघ इस तरह के अधिवेशन करेगा। जिसकी शुरुआत शिमला से की गई है। इसमें कर्मचारियों की मांगों पर मंथन किया गया। कर्मचारियों ने कहा कि मंत्रियों व विधायकों का तो वेतन बढ़ा दिया गया है, लेकिन कर्मचारियों के वित्तीय लाभ जारी करने के लिए आर्थिक तंगी का हवाला दिया जा रहा है।

    सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर

    महासंघ ने सरकार को दो टूक चेतावनी दी है कि उनकी मांगों पर जल्द निणर्य लें, नहीं तो कर्मचारी आंदोलन पर जाने से परहेज नहीं करेंगे। डीए, संशोधित वेतनमान का लाभ, नियमितिकरण, पदोन्नतियां न होने से कर्मचारियों में रोष बढ़ता जा रहा है।

    बैठक में वक्ताओं ने कर्मचारियों की वित्तीय देनदारियों की अदायगी न होने पर सरकार के खिलाफ रोष जाहिर किया। संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि संशोधित वेतनमान के एरियर की अभी तक अदायगी नहीं हुई है।

    कर्मचारियों के डीए की 13 प्रतिशत का भुगतान लंबित हो गया है। अधिवेशन के बाद कर्मचारियों ने कालीबाड़ी से उपायुक्त कार्यालय तक मार्च निकाला व एडीसी अभिषेक वर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।

    हर जिला में होंगे अधिवेशन

    संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि अगले तीन महीनों में हर जिला में इस तरह के अधिवेशन होंगे। यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो कर्मचारी आंदोलन पर जाने से परहेज नहीं करेगा।

    संयुक्त कर्मचारी महासंघ के महासचिव हीरालाल वर्मा कहा कि पुरानी पेंशन बहाल करने की गारंटी कांग्रेस ने दी थी। उसमें भी सरकार ने भेदभाव किया है।

    बिजली बोर्ड सहित निगमों बोर्डों में ओपीएस लागू नहीं किया गया है जबकि विधायकों का वेतन में बेतहाशा बढ़ोतरी की गई है।

    कर्मचारियों ने बदलाव करके दूसरी सरकार बनाई, लेकिन दोनों ही सरकारों में कर्मचारी पीस रहे हैं। ऐसे में अब कर्मचारियों ने सरकार पर अधिक दबाव बनाने और आंदोलन का मन बना लिया है।

    इन मांगों पर किया मंथन

    • कर्मचारियों के लंबित 13 प्रतिशत डीए की किश्त को जारी करें। 4-4 प्रतिशत की दो किश्तें एक साथ जारी की जाए।
    • संशोधित वेतनमान का लंबित एरियर व संशोधित भत्ते जारी किए जाए।
    • बिजली बोर्ड सहित पुरानी पेंशन से वंचित कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
    • आउटसोर्स को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए।
    • कर्मचारियों के नियुक्ति व शर्तें सेवाएं बिल-2024 को वापिस लिया जाए।
    • अनुबंध कर्मचारियों को साल में दो बार नियमित किया जाए।
    • शिक्षा अवकाश को पुन: बहाल किया जाए।