Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एचआरटीसी कर्मियों के लाखों संडे लैप्स

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 05 Dec 2017 04:17 PM (IST)

    एचआरटीसी कर्मियों के संडे लैप्स होने से प्रभावितों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। चालकों की यूनियन ने इस संबंध में संघर्ष करने की चेतावनी दी ...और पढ़ें

    Hero Image
    एचआरटीसी कर्मियों के लाखों संडे लैप्स

    शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) में चालकों व परिचालकों के जमा लाखों संडे लैप्स हो गए हैं। उन्होंने इस दिन भी ड्यूटी दी थी मगर अब उन्हें न तो इन पुराने जमा अवकाशों का लाभ मिलेगा और न ही इनकी जगह साप्ताहिक अवकाश की सुविधा मिलेगी। इससे एचआरटीसी के करीब सात हजार चालक, परिचालक व वर्कशॉप कर्मी प्रभावित होंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    निगम प्रबंधन इस वर्ष के नवंबर तक के रविवार के अवकाशों पर ही फैसला लेगा। इस पर प्रबंध निदेशक ही कोई फैसला लेंगे। एचआरटीसी कर्मियों के संडे लैप्स होने से प्रभावितों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। चालकों की यूनियन ने इस संबंध में संघर्ष करने की चेतावनी दी है। वहीं, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इसे एमडी का तुगलकी फरमान बताया है। यूनियन आचार संहिता खत्म होने के बाद आंदोलन शुरू कर सकती है। बीएमएस ने ताजा आदेश को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

     

    बीएमएस के तेवरों से इस मामले पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। असल में निगम प्रबंधन ने लीव रूल को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। इसके तहत रविवार का अवकाश कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा यानी एक साल के बाद आगे जमा नहीं रहेगा। इसके तहत हर साल नवंबर तक के अवकाश लैप्स हो जाएंगे। केवल दिसंबर के ही अवकाश जनवरी के लिए कैरी फॉरवर्ड हो पाएंगे। इस फैसले का एचआरटीसी कर्मी विरोध कर रहे हैं।  

     

    कैरी फॉरवर्ड नहीं होंगे अवकाश

    रूल के हिसाब से रविवार के अवकाश कंपनसेट नहीं होंगे। इन्हें कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा लेकिन व्यवहारिकता में ऐसा नहीं हो पाता है। हम चालकों व परिचालकों को अवकाश नहीं दे पाते हैं। उनके साप्ताहिक अवकाश संभव नहीं होते। अब एमडी साहब फैसला लेंगे।

    - अनिल सेन, मंडलीय प्रबंधक (प्रशासनिक), एचआरटीसी

     

    बंधुआ मजदूरों की तरह हो रहा व्यवहार

    एचआरटीसी चालकों व परिचालकों से बंधुआ मजदूरों की तरह व्यवहार कर रहा है। न अर्न लीव न कैजुअल लीव और वीकली ऑफ की भी सुविधा नहीं दी जा रही है। अब रविवार के जमा अवकाशों को भी समाप्त कर दिया गया है। इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे।

    - सत्यप्रकाश, प्रांतीय प्रधान, चालक यूनियन


    नई सरकार बनते ही खत्म होगा दबाव का माहौल

    वर्ष 2012 में परिवहन के तत्कालीन प्रधान सचिव ने रविवार के अवकाशों को कैरी फॉरवर्ड करने के आदेश दिए थे। इन आदेशों को एमडी सुपरसीड नहीं कर सकते हैं। परिवहन कर्मियों केकरीब पौने पांच लाख के करीब संडे लैप्स हो गए हैं। नई सरकार बनते ही एमडी भी अपनी कुर्सी पर नहीं रहेंगे। भय और दबाव का माहौल खत्म होगा।

    -शंकर सिंह ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष, परिवहन मजदूर संघ

     

    यह भी पढ़ें: राहुल के नामांकन में नहीं पहुंचे वीरभद्र व कौल सिंह