हिमाचल सरकार मिड-डे मील में करने जा रही है बड़ा बदलाव, बदलेगा बच्चों की प्लेट का जायका
हिमाचल सरकार पीएम पोषण योजना के तहत स्कूलों में दिए जाने वाले दोपहर के भोजन (मिड डे मील) को और पौष्टिक बनाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भोजन का जायका बदलने और गुणवत्ता सुधारने के लिए एसओपी बनाने के निर्देश दिए हैं। योजना में मिलेट्स और अन्य पौष्टिक तत्वों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है ताकि बच्चों को बेहतर पोषण मिल सके।

अनिल ठाकुर, शिमला। पीएम पोषण योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को दिया जाने वाला दोपहर का भोजन (मिड डे मील) अब और पौष्टिक होगा। सरकार एमडीएम का जायका बदलने के लिए इसमें कई सुधार करेगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके लिए एसओपी बनाने के निर्देश दिए हैं। इस साल 10 राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल बनकर तैयार हो जाएंगे। उसमें भी एमडीएम दिया जाएगा। उसके साथ ही अन्य स्कूलों के लिए भी बदलाव किए जाएंगे। मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद विभाग इस पर काम शुरू करेगा।
सूत्रों की माने तो विभागीय स्तर पर इसके लिए पहले से प्रक्रिया चली हुई है। राज्य सरकार ने पिछले साल मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना शुरू की थी। यह मिड डे मील का ही विस्तार है। इसमें बच्चों को सप्ताह में एक दिन अंडे व ताजे फल दिए जाते हैं। इसे सप्ताह में दो दिन किया जा सकता है।
इसके अलावा मोटे अनाज (मिलेट्स) को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। दूध को भी शामिल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए इसके लिए अतिरिक्त बजट खर्च करना पड़े तो सरकार उसके लिए तैयार है।
10732 स्कूलों में पकता है एमडीएम
प्रदेश के 10732 प्राथमिक स्कूलों के 3,06,639 विद्यार्थियों और 4783 माध्यमिक स्कूलों के 2,12,850 विद्यार्थियों को मिड-डे मील दिया जाता है। प्री प्राइमरी कक्षाओं के 51000 बच्चों को भी मिड-डे मील की सुविधा दी जा रही है। केंद्र प्रायोजित इस योजना में हिमाचल को 90:10 के अनुपात में बजट मिलता है। यदि मोटे अनाज को शामिल किया जाता है, तो 30 करोड़ रुपये के करीब अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी।
केंद्र से मिलती है 90:10 की ग्रांट
पीएम पोषण योजना केंद्र सरकार की है। इसके तहत बच्चों को मिड डे मील यानि दोपहर का भोजन निश्शुल्क दिया जाता है। हिमाचल को 90:10 की हिस्सेदारी में बजट मिलता है। प्री प्राइमरी से कक्षा 8 तक के बच्चों को यह भोजन प्रतिदिन स्कूल में दिया जाता है।
यह तय किए हैं नियम
केंद्र ने मिड डे मील के लिए नियम तय किए हैं। इसके तहत कक्षा-1 से 5 तक प्रति छात्र 100 ग्राम चावल, कक्षा-6 से 8 तक 150 ग्राम चावल, दालें कक्षा 1 से 5 तक 20 ग्राम, कक्षा-6 से 8 तक 30 ग्राम प्रति छात्र है। इसी तरह सब्जियां 50 ग्राम कक्षा-1 से 5 तक और कक्षा-6 से 8 तक 75 ग्राम देना तय किया है।
कितना होना चाहिए न्यूट्रिशियंस
एमडीएम के तहत कितना न्यूट्रिशियंस मिलना चाहिए यह भी तय किया है। इसके तहत कक्षा-1 से 5 तक 450 कैलोरिज, 12 ग्राम प्रोटिन होना चाहिए। इसके अलावा कक्षा-6 से 8 तक 700 कैलोरीज व 20 ग्राम प्रोटिन होनी चाहिए।
हर दिन अलग अलग प्रकार का भोजन
सरकारी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को सप्ताह के छह दिन अलग-अलग प्रकार का भोजन दिया जाता है। जिसके लिए विशेष मेन्यू तैयार किया गया है।
पहले सप्ताह के सोमवार को साबुत मूंग दाल और चावल, मंगलवार को सब्जी के साथ पुलाव, बुधवार को राजमा चावल, गुरुवार को चना दाल और सब्जी के साथ खिचड़ी, शुक्रवार को उड़द दाल और चावल, शनिवार को काले चने और चावल परोसे जाते हैं। इसके अलावा महीने में मटर पनीर, मशरूम, मीठा इत्यादि भी दिया जाता है। कुछ स्कूलों ने अपने स्तर पर चपाती देना भी शुरू किया है।
मिलेट्स में यह देने की चल रही तैयारी
मिड-डे मील में मोटे अनाज (मिलेट्स) भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी कोदा, बाजरा, बाथू, कुट्टू और चौलाई जैसे अनाजों का स्वाद चखने के साथ-साथ इनके पोषण और महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। कृषि विभाग ने इसको लेकर शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा है।
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