ना हाथों की मेहंदी सूखी, ना चूड़े का रंग हुआ फीका... शादी के तीन महीने बाद ही तिरंगे पर बलिदान हुआ सुहाग
नाहन के बड़ाबन गांव में लांस नायक मनीष ठाकुर का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा पहुंचा। उत्तरी सिक्किम में भूस्खलन के कारण मनीष शहीद हो गए थे। शादी के तीन महीने बाद ही तनु ठाकुर का सुहाग उजड़ गया। वीरांगना तनु ठाकुर और शहीद की माता किरण बाला का रो-रोकर बुरा हाल था। पिता जोगेंद्र ठाकुर अपने लाडले को अंतिम बार निहारते रहे। पूरे गांव में शोक की लहर है।

राजन पुंडीर, नाहन। जिस पति के साथ जिंदगी भर जीवन गुजारने के सपने संजोए थे। अभी जिंदगी का पल भर भी जीवन साथी के साथ जीवन बिताया भी नहीं किया था, कि पति देश के लिए बलिदान हो गया। जिस पति को जी भर निहारा भी नहीं था, वह तिरंगे की शान बन गया। यह दुखद विहंगम दृश्य बुधवार दोपहर को नाहन विधानसभा क्षेत्र के बड़ाबन गांव में शहीद हुए लांस नायक मनीष ठाकुर के घर का था।
जहां पर वीरांगना तनु ठाकुर को अपने बलिदानी पति को तिरंगे में लिपटा देखकर यकीन ही नहीं हो रहा था कि अब उसका सुहाग देश के लिए शहीद हो गया। जब बलिदानी पति तिरंगे में लिपटकर घर के आंगन में पहुंचा, तो फूट कर सिसकियां ही निकल रही थी। अभी वीरांगना तनु के हाथों की ना तो मेहंदी सुखी, ना चूड़े का रंग फीका हुआ था। चूड़े की खनक अब सिसकियों में डूब चुकी थी।
उसकी आंखों में जिंदगी ठहर गई थी, एक टकटकी, जैसे उसी एक दृश्य में पूरी जिंदगी ठहर गई हो। शादी के तीन माह बाद ही सुहाग तिरंगे पर बलिदान हो गया। वही शहीद की माता किरण बाला अपने लाडले को तिरंगा में लिफ्ट देख कर बेसुध हो गई। तो पिता जोगेंद्र ठाकुर भी अपने लाडले को एक नजर से अंतिम बार निहारते रहे।
वहीं छोटा भाई धीरज ठाकुर जहां परिजनों का हौसला बड़ा रहा था। वहीं मन ही मन वह भी रो रहा था। भूस्खलन तो उत्तरी सिक्किम में हुआ, मगर दुखों का पहाड़ मनीष के परिजनों पर टूट गया। यह भूस्खलन मनीष के परिजनों को जिंदगी भर का दर्द दे गया।
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