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    Lok Sabha Election 2024: आखिर क्यों 27 फरवरी में अटकी है हिमाचल की राजनीति, क्या हुआ था उस दिन...

    Updated: Thu, 21 Mar 2024 09:25 AM (IST)

    इस चुनाव में अगर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 400 पार का नारा दिया है तो उसमें हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीट जीतना भी है। क्योंकि वर्तमान समय यहां की तीन सीट भाजपा के पास है जबकि एक पर कांग्रेस का कब्जा है तो वहीं सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए ये चुनाव उतना आसान नहीं होने वाला है। राज्यसभ चुनाव परिणाम पूरे देश ने देखा।

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    Himachal News: भाजपा के चार सौ पार में हिमाचल की चार सीटें भी महत्वपूर्ण। फाइल फोटो

    नवनीत शर्मा, शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) 20 मार्च को भी 27 फरवरी में अटकी प्रतीत होती हैं। आखिर, इन शब्दों में 27 फरवरी वाला ही ताप नहीं तो और क्या है, ‘केवल सांसद निधि बांट कर चुनाव नहीं लड़े जाते।

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    ऐसा कोई कार्यकर्ता नहीं दिख रहा जो काम करे। कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिला। मैं मंडी तक सीमित नहीं हो सकती। मैंने साफ कर दिया है कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। आलाकमान जिसे चाहे, उसे प्रत्याशी बनाए।’

    विधायकों की संख्या घटकर 43 से पहुंची 34

    27 फरवरी को हिमाचल प्रदेश (Himachal News) में कांग्रेस समर्थक विधायकों की संख्या 43 से कम हो कर 34 रह गई थी। पार्टी के छह विधायकों के अलावा सरकार के साथ चल रहे तीन निर्दलीय भी भाजपा प्रत्याशी को वोट दे गए थे। हालात ठीक नहीं लग रहे।

    ऐसा कोई कार्यकर्ता या पदप्राप्ति से वंचित रहा विघ्नसंतोषी छोटा नेता कहे तो पीड़ा समझ में आती है किंतु प्रदेशाध्यक्ष यानी कप्तान ही ऐसा कहे तो क्या बाकी रह जाता है! साफ है कि दरारें इतनी बड़ी हैं कि राजनीतिक रणनीति का यह ककहरा भी उन्हीं दरारों में गुम हो रहा है कि युद्ध के मैदान में मनोबल ऊंचा दिखना चाहिए। यह तो हथियार डालने जैसा है।

    25 विधायकों वाली पार्टी 40 संख्या वाली एमएलए पर पड़ी भारी

    संयोगवश, हिमाचल प्रदेश के लिए 27 फरवरी का दिन इतना लंबा हो गया है कि ढलने में नहीं आ रहा है। उस तिथि को छोटे से प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हुआ था। 40 विधायकों वाली कांग्रेस (Himachal Congress) के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी 25 विधायकों वाली भाजपा (Himachal BJP) के हर्ष महाजन से हार गए थे। हर्ष राज्यसभा पहुंच गए, कांग्रेस के व्हिप के उल्लंघन के फलस्वरूप अयोग्य घोषित विधायक चंडीगढ़, ऋषिकेश होते हुए दिल्ली पहुंच गए।

    मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया पर कांग्रेस के छह पूर्व विधायक और तीन निर्दलीय विधायक अब तक 27 फरवरी में ही हैं, घर नहीं पहुंचे। हां, विक्रमादित्य सिंह अवश्य शिमला, दिल्ली (Delhi News) और चंडीगढ़ (Chandigarh News) में संतुलन बनाते हुए अंतत: सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के मंच पर पहुंच गए और ‘बागियों’ के विरुद्ध गरजने लगे। मुख्यमंत्री से कहा कि इतना बड़ा इंटेलिजेंस फेल्योर कैसे हुआ, पता लगाना चाहिए...।

    हमीरपुर सीट से कांग्रेस को नहीं मिल रहा कोई उम्मीदवार

    इस सब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri), जो 27 फरवरी को शांत थे, आलाकमान को बता आए हैं कि वह अपने प्रत्यक्ष निजी कारणों से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के प्रभारी नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी पूछा है कि आखिर ऐसा क्या और क्यों हुआ कि 43 सदस्यों के समर्थन वाली कांग्रेस 34 तक लुढ़क आई। 27 फरवरी का दिन इतना लंबा खिंच रहा है कि मंडी (Mandi News) में ही नहीं, कांग्रेस को हमीरपुर (Hamirpur News) में भी कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा है।

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    सरकार बनते ही किसी स्तर पर पहला ध्येय यह था कि अनुराग ठाकुर क्योंकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बारे में तीखी भाषा बोलते हैं, इसलिए उन्हें हराने में कोई कमी न छोड़ी जाए। किंतु यही वह संसदीय क्षेत्र है जहां से सर्वाधिक चार विद्रोही विधायक कांग्रेस से और दो निर्दलीय सामने आए। यहां भी अब तक पार्टी को कोई प्रत्याशी नहीं दिख रहा।

    अयोग्य विधायकों पर सीएम सुक्खू की टिप्पणी

    एक समन्वय समिति की घोषणा हुई थी जिसमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ मंत्री धनी राम शांडिल, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र (Himachal Lok Sabha Election) से तीन बार हार चुके राम लाल ठाकुर शामिल हैं। समन्वय समिति की बैठक पर ही समन्वय नहीं बन पाया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नाना प्रकार के जीवों की तुलना बागियों से की।

    जिनमें काले नाग का प्रयोग काफी प्रसिद्ध हुआ। काश, कोई उन्हें बता पाता कि काले नाग दिख जाते हैं। उनसे बचने की रणनीति बनाई जा सकती है, सावधान हुआ जा सकता है मगर जितना नुकसान आस्तीन के सांप करते हैं, उतना कोई नहीं करता। आश्चर्य यह है कि इतने बड़े प्रकरण के बावजूद कांग्रेस आलाकमान, प्रदेश में हर प्रकार की कांग्रेस की ओर से अपनी चाल में कोई संशोधन देखने में आ नहीं सका।

    इस सारी कसरत में भारतीय जनता पार्टी का अलग ही दुख है। कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के संबंध में जो उसकी स्थिति है, उस पर वसीम बरेलवी की ये पंक्तियां ठीक से खुलती हैं- ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं/ तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी। वाट्सअप कॉल आती हैं कार्यकर्ताओं को...कल तक भाजपा में सम्मिलन हो सकता है। फिर सूचना आती है कि भाजपा में शामिल होने का राजनीतिक सांस्कृतिक कार्यक्रम अब कल होगा।

    कई क्षेत्र ऐसे जहां भाजपा पहले से मजबूत

    अब प्रतिभा सिंह ने फिर कुछ कह दिया है...रुक जाओ...थोड़ी और प्रतीक्षा करते हैं। सवाल यह भी है कि क्या भाजपा की पहाड़ी बस में नए यात्रियों का सहज स्वागत होगा? कुछ क्षेत्रों में तो भाजपा के खानों में मोहरे ठीक बैठेंगे किंतु कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां भाजपा पहले से सशक्त है।

    बेशक अनुशासन भाजपा कैडर की पहचान है किंतु जिस प्रकार की राजनीति हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी से शुरू हुई है, किसकी अतंरात्मा कब जाग जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। पर केंद्र सशक्त हो तो कुछ आशा की जा सकती है।

    इस सब में प्रदेश के कुछ शीर्ष भाजपा नेता आलाकमान की नाराजगी के भाजन बने हैं। उनसे कहा गया कि अति उत्साह में न आए होते तो 27 फरवरी वाला दिन अधिक से अधिक 28 फरवरी तक खिंचता, जब कटौती प्रस्ताव और बजट पर मत विभाजन होना था। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) में भाजपा के चार सौ पार में हिमाचल की चार सीटें भी महत्वपूर्ण हैं।

    शिमला से सुरेश कश्यप (Suresh Kashyap) तो हमीरपुर से अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) प्रत्याशी हैं। अब मंडी और कांगड़ा के लिए मंथन जारी है। स्पष्ट है कि पार्टी ऐसे चेहरों पर ही भरोसा करना चाहेगी, जिनका जनाधार है। अभी तो लोकसभा चुनाव ही प्राथमिकता है, कालांतर में पार्टी के पास हिमाचल में भी कुछ मोहन यादव (Mohan Yadav), कुछ भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) और विष्णु देव साई (Vishnu Deo Sai) होंगे ही।

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