मां के साथ जा रही मासूम पर तेंदुए का हमला, बाल बाल बची बच्ची; शोर मचाने पर बची जान
शिमला में एक बच्ची पर तेंदुए ने हमला कर दिया। उसकी पीठ और कंधे पर चोट लगी है। तेंदुआ घर के बाहर घात लगाए बैठा था। जैसे ही बच्ची घर से बाहर निकली तेंदुए ने उसे दबोच लिया। हमले में बच्ची बाल बाल बच गई। मां के शोर मचाने पर तेंदुआ बच्ची को घायल अवस्था में छोड़कर भाग गया। तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग ने पिंजरे लगाए हैं।

संवाद सूत्र,नेरवा। जिला शिमला के चौपाल उपमंडल के चन्जाल पुल पर सोमवार शाम तेंदुए ने पांच साल की बच्ची पर हमला कर दिया। बच्ची घर से बाहर निकली तो घात लगाए बैठा तेंदुआ उसको उठाकर ले गया।
मां के शोर मचाने पर तेंदुआ बच्ची को घर से कुछ दूर छोड़कर भाग गया। बच्ची की पीठ और कंधे पर चोटें आई हैं। परिजन उसे नेरवा अस्पताल ले गए, जहां उसका उपचार चल रहा है।
तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग ने भेजी टीम
वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए टीम मौके पर भेजी है। दो जगह पिंजरे लगाए हैं। वहीं पुलिस ने भी मामला दर्ज कर लिया है। डेरा घरों के आसपास बना था। चौपाल के चन्जाल में नेपाली मूल का प्रकाश पत्नी और बेटी अनुषा के साथ डेरे में रहता है। वह सेब बागबान जगदीश ठाकुर के बगीचे में काम करता है।
शाम को बच्ची शौच के लिए डेरे से बाहर निकली तो तेंदुए ने हमला कर दिया। मां की सूझबूझ और उसके शोर मचाने पर तेंदुआ बच्ची को छोड़कर भाग गया।
पंचायत झिकनीपुल के प्रधान गोपाल चौहान ने बताया कि उन्हें प्रीतम सिंह, हीरा लाल जिंटा, गोविंद जमटा, विक्रम चौहान एवं सुशील नेगी ने बताया कि नार-झिकनीपुल रास्ते पर केल्टी के पास कई बार तेंदुआ देखा गया है।
इसकी दहाड़ दिन में भी सुनाई देती है। इसी रास्ते से नार, क्यारनु, बडारा, सूंथ, रावतन, शानग व शेइला से बच्चे झिकनीपुल पढ़ने जाते हैं। लोगों ने वन विभाग एवं वन्य प्राणी विंग से तेंदुए को पकड़ने की मांग की है।
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विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए पिंजरे
विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए टीम मौके पर भेज दी है और दो जगह पर पिंजरे लगाए हैं। जब तक तेंदुआ पकड़ में नहीं आता लोगों से रात के समय बाहर न निकलने की अपील की गई है।
डीएफओ,चौपाल जंगवीर दुल्टा ने बताया कि बच्चों पर पहले भी हमले हो चुके हैं। उपमंडल चौपाल की पंचायत झिकनीपुल, रुसलाह में इससे पहले भी तेंदुए कई पालतू जानवरों को शिकार बना चुके हैं।
तीन वर्ष पहले तेंदुआ नेपाली के बच्चे को उठा ले गया था, जिसकी मौत हो गई थी। पिछले साल भी तेंदुए ने एक अन्य नेपाली बच्चे पर हमला कर उसे लहूलुहान कर दिया था। बच्चे की मां के शोर मचाने के बाद लोगों ने बच्चे को तेंदुए से छुड़ाया था। वहीं शिमला में कनलोग और डाउनडेल बस्ती से लगभग चार साल पहले तेंदुए दो बच्चों को उठा ले गए थे। दोनों बच्चों की मौत हो गई थी।
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