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    कोटखाई मामला: हमने दुष्कर्म किया न कत्ल, पुलिस के डराने पर कबूल किया था जुर्म

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Thu, 31 Aug 2017 09:50 AM (IST)

    एक आरोपी ने कहा है कि पुलिस ने उनके सिर पर पिस्तौल रखी थी। इसी डर से उन्होंने जुर्म स्वीकार किया। ...और पढ़ें

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    कोटखाई मामला: हमने दुष्कर्म किया न कत्ल, पुलिस के डराने पर कबूल किया था जुर्म

    शिमला, अजय बन्याल। कोटखाई में नाबालिग छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में सभी आरोपी सीबीआइ के सामने पुलिस में कबूले गए जुर्म से मुकर गए हैं। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ पूछताछ के दौरान हलाइला निवासी राजेंद्र उर्फ राजू, पौड़ी गढ़वाल निवासी मंदिर पुजारी के सहायक सुभाष सिंह विष्ट व दीपक उर्फ दीपू और नेपाल निवासी लोकजन ने कहा है कि उन्होंने छात्रा से दुष्कर्म व उसकी हत्या नहीं की है। यह सभी आरोपी नार्को टेस्ट के लिए तैयार हो गए हैं।

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    मामले में मुख्य आरोपी मुंशी राजेंद्र उर्फ राजू है। सूत्रों के अनुसार उसने सीबीआइ को बयान दिया है कि चार जुलाई को वह बगीचे और रात को ढारे में था। पांच जुलाई को मां को चेक करवाने शिमला लाया और रात साढ़े नौ बजे घर पहुंचा। छह जुलाई को सुबह ढारे के समीप छात्रा का शव मिलने की सूचना मिली। उसने उस लड़की को कभी नहीं देखा था। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ पूछताछ में राजू ने कहा कि पुलिस के डर से उन्होंने जुर्म कबूल किया। उन्हें पता था कि दुष्कर्म व हत्या उन्होंने नहीं की है, ऐसे में वे  कोर्ट में छूट जाएंगे। ऐसा ही बयान अन्य आरोपियों ने दिया है। एक आरोपी ने कहा है कि पुलिस ने उनके सिर पर पिस्तौल रखी थी। इसी डर से उन्होंने जुर्म स्वीकार किया।

     

    पुलिस ने 13 जुलाई को दावा किया था कि आरोपियों ने अपना जुर्म स्वीकार किया है।  यह थी पुलिस की थ्योरी डीजीपी सोमेश गोयल व आइजी जहूर जैदी ने 13 जुलाई को मामले के सुलझने को लेकर पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि चार जुलाई को बागबान अनंत नेगी के बगीचे में काम करने वाले राजेंद्र उर्फ राजू ने छात्रा को शाम को लिफ्ट दी थी।

     

    राजू की गाड़ी में सुभाष, सूरज, दीपक व लोकजन थे। वे स्प्रे मशीन लेकर बगीचे की ओर जा रहे थे। पांचों आरोपियों ने बीच रास्ते में गाड़ी रोककर नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और मुंह ढककर छात्रा को मौत के घाट उतार दिया।

     

    पहले ही नकारने लगे थे आरोप

    जब 14 जुलाई को पांचों आरोपियों को रिपन अस्पताल में मेडिकल के लिए लाया गया, तभी सभी आरोपियों के बयान बदलने शुरू हो गए थे। सदर थाने के भीतर दो आरोपियों की आपस में इसी बात पर लड़ाई हुई थी कि, 'मैंने नहीं, तूने मारा।Ó इसके बाद पुलिस ने आरोपियों को अलग-अलग थानों में रखना शुरु कर दिया था। 18 जुलाई को एक आरोपी सूरज की कोटखाई थाना में हत्या हो गई थी। सूरज को पुलिस ने गवाह बनाया था कि उसने सभी आरोपियों को दुष्कर्म व हत्या करते हुए देखा है और वह भी इन्हीं में शामिल था।

     

    आइजी ने संतरी से क्यों की आधा घंटा फोन पर बात?

    कोटखाई प्रकरण में पुलिस लॉकअप में आरोपी सूरज की मौत के बाद आइजी ने संतरी से करीब आधे घंटे तक फोन पर बात की थी। यह प्रश्न अहम है कि इस दौरान दोनों में क्या बात हुई? सूरज के मामले में सीबीआइ ने पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट खंगाली। उसमें साफ लिखा था कि सूरज के शव पर डंडों व बेल्ट के निशान थे।

     

    सीबीआइ ने पुलिस से जानना चाहा कि जब सूरज सरकारी गवाह था तो उसके  साथ लॉकअप में मारपीट क्यों की गई? पुलिस का कहना था कि आरोपी बार-बार बयान से मुकर रहा था। सीबीआइ का इससे शक और बढ़ गया और फिर संतरी से पूछताछ की। पहले तो उसने रटा-रटाया जबाव दिया लेकिन दो दिन बाद कहा कि पुलिस के आला अफसरों ने दबाव में उससे बयान लिखवाया था। सीबीआइ ने फिर डीएसपी व एसएचओ से पूछताछ की।  उन्होंने कहा कि एसआइटी प्रमुख आइजी के निर्देशानुसार आरोपियों से देर रात पूछताछ की जा रही थी।

     

    इसी दौरान सूरज की मौत हो गई थी। सीबीआइ ने फिर डिजिटल डाटा से पुलिस के बयानों को जोडऩा शुरू किया। डीएसपी व आइजी की बातचीत हुई थी लेकिन पुलिस अधिकारी ने इसे स्वीकार नहीं किया। जब कॉल डिटेल की बात सीबीआइ ने कही तो अधिकारी बयान से मुकर गए। जब सूरज की मौत हो गई थी, उसे राजू के साथ लॉकअप में रखा और फोटोग्राफ लिए गए। एसआइटी व थाने के आठ पुलिस कर्मचारियों के बयान मैच नहीं कर रहे थे। 

     

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