किन्नौर की वेशभूषा में वायरल फोटो के पीछे छिपी है खास परंपरा, ...सर्दी के मौसम में यहां लगता है परियों का मेला
किन्नौर में 'परियों का मेला' नामक एक अनोखा उत्सव मनाया जाता है, जिसकी तस्वीरें इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मेले में परियां आकर नृत्य करती हैं और गांव की रक्षा करती हैं। यह मेला किन्नौर की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और लोगों के जीवन में खुशियाँ लाता है।

किन्नौर जिले के कल्पा में मनाए जाने वाले राउलानी मेला की तस्वीरें जो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
समर नेगी, रिकांगपिओ (किन्नौर)। हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर का राउलानी मेला इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल है। लेकिन यह जो फोटो व वीडियो वायरल हो रही हैं, यह हाल ही की नहीं हैं। ये तस्वीरें व वीडियो फरवरी महीने की हैं। इस मेले में आने वाले लोगों की वेशभूषा काफी भिन्न होती है, जो लोगों को आकर्षित कर रही है।
दरअसल इसे परियों का मेला भी कहा जाता है। यह सर्दी का मौसम खत्म होने पर मनाया जाता है। किन्नौर के लोगों का मानना है कि भारी बर्फबारी के कारण जब पहाड़ी क्षेत्र में ठंड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो स्वर्ग से सौंरी नाम की दिव्य परियां लोगों की रक्षा के लिए आती हैं। ठंड कम होने पर लोग इन दिव्य परियों के सम्मान व इन्हें वापस भेजने के लिए यह मेला मनाया जाता है।

जिला किन्नौर के कल्पा में राउलानी मेले में नृत्य करते लोग।
गांव में होती है दो पुरुषों की शादी
इस मेले में गांव में दो पुरुषों की शादी होती है। हालांकि यह असल में शादी नहीं होती बल्कि सिर्फ एक नाटक होता है। दूल्हे को राउला और दुल्हन को राउलानी कहते हैं। ये भारी किन्नौरी वेशभूषा पहने हैं। ये अपने शरीर को पूरी तरह से ढक लेते हैं। हाथों में बड़े ऊनी दस्ताने और मुंह को भी कपड़े से ढक लेते हैं, ताकि इन्हें कोई पहचान न पाए। मान्यता है कि यदि कोई इन्हें पहचान ले तो इसे अशुभ माना जाता है।
सभी लोगों ने ढके होते हैं परियों से मुंह
इस मेले में सभी लोगों के मुंह ढके हुए होते हैं, ताकि परियां उन्हें पहचान न लें। पहचान होने पर लोग इसे अशुभ मानते हैं।

राउलानी मेले में किन्नौरी आभूषणों से मुंह ढके हुए दुल्हन।
मंदिर में जाकर करते हैं पूजा
यह कपल स्थानीय मंदिर नागिन नारायण मंदिर में जाकर पूजा करते हैं। इनके हाथ में खंजर होता है, जो इन्हें बुरी शक्तियों से बचाता है।
कई वर्षों से मनाया जाता है मेला
जिला किन्नौर के कल्पा में यह त्योहार कई वर्षों से मनाया जाता है। किन्नौर की संस्कृति हिंदू और बौद्ध दोनों परंपराओं का मेल है।
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