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    Shimla News: अधिक फीस वसूलने पर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ जांच शुरू, शिक्षा मंत्री को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Fri, 29 Sep 2023 08:10 AM (IST)

    Shimla News शिमला के एक मेडिकल कॉलेज के खिलाफ मनमाने तरीके से फीस लेने और स्टेट कोटा कम करने सहित अन्य मामले को लेकर सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में कमेटी जांच करेगी। इसके साथ ही कमेटी ये रिपोर्ट शिक्षा मंत्री को सौंपेगी। वहीं इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस जांच रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

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    अधिक फीस वसूलने पर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ जांच शुरू (सांकेतिक चित्र)।

    शिमला, जागरण संवाददाता: निजी मेडिकल कालेज के विरुद्ध प्रदेश सरकार ने जांच बैठा दी है। इस बार जांच का दायित्व हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग को नहीं दिया गया है, बल्कि सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी मनमानी फीस वसूलने, स्टेट कोटा कम करने, मैनेजमेंट कोटे की फीस सहित अन्य मामलों की जांच करेगी। रिपोर्ट शिक्षा मंत्री को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कालेज के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

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    कमेटी शिक्षा मंत्री को सौंपेगी रिपोर्ट

    शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि कमेटी जल्द अपना काम शुरू कर देगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि फीस में जो अंतर है उसे कैसे बराबर किया जाए, इस पर काम किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि छात्रों को बेहतर सुविधा मिले। विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक इंद्रदत्त लखनपाल व राजेश धर्माणी ने यह मामला उठाया था।

    विधायकों ने कहा था कि प्रदेश में निजी मेडिकल कालेज में मनमानी फीस और अन्य शुल्क वसूले जा रहे हैं। यही नहीं हास्टल और मैस शुल्क भी मनमाने तरीके से वसूले जा रहे हैं। सोलन जिला में निजी मेडिकल कालेज के विरुद्ध अधिक फीस वसूलने से लेकर अन्य अनियमितताओं की शिकायत पहले भी निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के पास आ चुकी है।

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    फीस के अनुसार मैस सुविधा भी उपलब्ध नहीं

    आयोग ने पहले भी इस संस्थान पर जुर्माना लगाया था। सरकार का तर्क है कि संस्थानों को सीट अलाट करने का एक नियम है। नियम के तहत कुल सीटों के हिसाब से स्टेट कोटा, एनआरआई कोटा तय किया जाता है। सरकार के पास जो शिकायतें आई हैं, उनमें कहा है कि मेडिकल कॉलेज में स्टेट कोटा कम कर दिया गया है। प्रशिक्षुओं से मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। मैस में उस तरह की सुविधा नहीं मिलती जितनी फीस ली जा रही है।

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