न पेंशन लगी, न ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश का मिला पैसा; हिमाचल में HRTC के रिटायर्ड कर्मचारियों ने उठाई मांग
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के लगभग 250 सेवानिवृत्त कर्मचारी पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वित्तीय संकट के कारण निगम भुगतान करने में असमर्थ है। पेंशनर कल्याण संगठन ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। मुख्यमंत्री ने जल्द ही देनदारियों को चुकाने का आश्वासन दिया है जिससे कर्मचारियों को उम्मीद है. एचआरटीसी घाटे को कम करने के लिए प्रयासरत है.

अनिल ठाकुर, शिमला। राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े उपक्रम हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की वित्तीय हालत खराब हो गई है। निगम से सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
वर्ष 2024 से लेकर अभी तक सेवानिवृत हुए करीब 250 कर्मचारियों व अधिकारियों को अभी तक पेंशन लगना तो दूर, ग्रेच्युटी व अर्जित अवकाश (लीव इनकैशमेंट) का पैसा भी नहीं मिला है। सालों तक निगम में सेवाएं देने के बाद कर्मचारी अब परेशान हैं व निगम कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
निगम प्रबंधन हर बार उन्हें खराब वित्तीय हालत का तर्क देकर आश्वासन देता है और वापस भेज देता है। एचआरटीसी का संचित घाटा बढ़कर 2200 करोड़ हो गया है। लोन और ओवरड्राफ्ट भी हर साल बढ़ता जा रहा है। एचआरटीसी में अभी 10853 कर्मचारी काम कर रहे हैं। 2023 में 31 मार्च तक एचआरटीसी का कुल घाटा 1966 करोड़ था।
मुख्यमंत्री से मिले पेंशनर, बताई पूरी बात
परिवहन पेंशनर कल्याण संगठन हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिला था। इस मुलाकात के दौरान इस मांग को प्रमुख्ता से रखा गया। उन्होंने कहा कि सेवानिवृति के बाद उन्हें अभी तक जो देय लाभ मिलने चाहिए वह भी नहीं मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने इसको लेकर वित्त विभाग के साथ चर्चा की और निगम के प्रबंध निदेशक डा. निपुण जिंदल से भी बात कर पूरा ब्यौरा तलब किया। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही सारी देनदारियों को चुकता किया जाएगा। उन्होंने हर महीने मासिक पेंशन का भुगतान भी समय पर करने का आश्वासन दिया है।
घाटे के रूट घाटे का सबसे बड़ा कारण
एचआरटीसी के कुल 3400 के करीब बस रूट हैं। रियायती पास, महिलाओं को किराए में 50 प्रतिशत की छूट। 28 श्रेणियों को निशुल्क यात्रा जैसे सामाजिक दायित्व निभाते निभाते निगम की वित्तीय हालत खराब हो गई है। राज्य सरकार के पे- स्केल हैं और पुरानी पेंशन को भी लागू कर दिया गया है।
निगम अपनी आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। लेकिन घाटा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि उससे पार पाना मुश्किल हो गया है। निगम अपने बस फ्लीट में कमी कर रहा है ताकी खर्चों को कम किया जा सके।
मुख्यमंत्री के साथ सार्थक चर्चा हुई है। इसमें सभी मुद्दों को रखा गया है। मुख्यमंत्री ने पेंशन को हर महीने तय समय पर जारी करने के निर्देश दिए हैं। पेंशन के लंबित मामलों पर भी आश्वासन दिया है कि जल्द ही पेंशन के केस निपटाए जाएंगे व सभी देय लाभ जारी किए जाएंगे। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद निगम आगामी निर्णय लेगा।
-राजेंद्र ठाकुर, पेंशनर कल्याण संगठन के महासचिव
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