'मांगे पूरी करो, वरना काम बंद...', HRTC कर्मचारियों का सुक्खू सरकार को अल्टीमेटम, 31 जुलाई तक का दिया समय
एचआरटीसी कर्मचारियों ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मांगों को लेकर कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी डिपो में गेट मीटिंग की और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। यूनियन ने 31 जुलाई तक मांगे पूरी न होने पर 1 अगस्त से वर्क टू रूल के तहत काम करने की चेतावनी दी है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। मांगों को लेकर एचआरटीसी कर्मचारियों ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को एचआरटीसी चालक परिचालक संघ ने प्रदेश के सभी डिपुओं में गेट मीटिंग की।
इस दौरान निगम प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की गई। यूनियन ने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि 31 जुलाई तक उनकी मांगे नहीं मानी तो 1 अगस्त से वर्क टू रूल के तहत केवल 8 घंटे ही ड्यूटी वे करेंगे। आठ घंटे पूरे हो जाने के बाद वह बस अड्डों पर अपनी बसों को खड़ा कर देंगे।
इसके लिए निगम प्रबंधन जिम्मेदार होगा। राजधानी शिमला स्थित एचआरटीसी मुख्यालय के बाहर कर्मचारियों ने गेट मीटिंग व प्रदर्शन किया।
इस दौरान निगम प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। बीते बुधवार को यूनियन की प्रबंधन के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक में केवल उन्हें आश्वासन ही मिला था। बैठक बेनतीजा रहने के बाद कर्मचारियों ने वर्क टू रूल पर जाने का निर्णय लिया है।
पहली अगस्त से कर्मचारी केवल वर्क टू रूल के तहत ड्यूटी करेंगे। किसी भी तरह का ओवर टाइम वे नहीं करेंगे। एचआरटीसी चालक यूनियन के अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि निगम के चालक परिचालकों ने कई बार मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, निगम के प्रबंध निदेशक को मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपे हैं।
प्रबंधन उनकी मांगों पर गौर ही नहीं करता। 11 जुलाई को निगम प्रबंधन को नोटिस देकर 31 जुलाई तक मांगे पूरी करने को कहा गया था। लेकिन प्रबंधन हर बार की तरह केवल उन्हें आश्वासन ही दे रहा है। यूनियन ने कहा कि चालक परिचालक को पिछले 5 सालों को नाइट ओवर टाइम नहीं मिला है।
संशोधित वेतनमान के एरियर की 50 हजार की किस्त अन्य विभागों के कर्मचारियों को मिल गई है। केवल एचआरटीसी को ही नहीं दी गई है।
नाइट ओवर टाइम का 100 करोड़ रुपए की देनदारी हो गई है। वेतन भी माह की 10 तारीख के बाद आ रहा है। मेडिकल भत्ते भी चालक परिचालकों को नहीं दिए जा रहे हैं।
सरकार चालक परिचालकों के वित्तीय लाभ जब तक जारी नहीं करती तब तक चालक परिचालक सिर्फ 8 घंटे की ही ड्यूटी देंगे। इससे प्रदेश में यदि यात्री प्रभावित होते हैं तो इसके लिए सरकार व निगम जिम्मेदार होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।