Happy holi 2019: सांगला की होली की है अपनी पहचान, यहां वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते हैं लोग
Happy holi 2019 हिमाचल के सांगला में रंगों का ये पर्व बहुत धूमधाम से लगातार तीन दिन तक मनाया जाता है यहां अलग तरह की वेशभूषा में लोग वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते हैं।
रिकांगपिओ, समर नेगी। किन्नौर जिले के सांगला तहसील में होली अलग अंदाज में तीन दिन तक मनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक पर्व को मनाने के लिए सांगला के महिला, पुरुष, युवक, युवतियों सहित बुजुर्गों व बच्चों में खासा उत्साह देखा जाता है। जनजातीय क्षेत्र जिला किन्नौर की समृद्ध लोक संस्कृति में सांगला की होली की अपनी पहचान है। सांगला के ग्रामीण अलग तरह की वेशभूषा ग्रहण कर टोलियों में तीन दिन तक विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर एक दूसरे पर गुलाल फेंककर रिश्तों की कच्ची डोर को और अधिक मजबूत करते हैं। पर्व के पहले दिन ग्रामीणों का समूह देवता बैरिंगनाग के मंदिर प्रांगण से आशीर्वाद लेकर छूदोसरिंग से तैयार होकर विभिन्न तरह के स्वादिष्ट व्यजनों का स्वाद चखते हुए पूरा दिन होली मनाते हैं। ग्रामीण विभिन्न तरह के किन्नौरी वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते हुए होली खेलते हैं।
टोलियां स्थानीय बाजार सांगला, खाले सारिंग, पूदोनाला सारिंग और कोश्टयोचूदेन होते हुए मंदिर में पहुंचकर होलीका दहन करती हैं। वीरवार को चौथे दिन सांगला के ग्रामीण फाग मेले का लुत्फ उठाते हैं। ग्रामीण अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर बैरिंगनाग के मंदिर प्रांगण में किन्नौरी नाटी डालते हैं।
ग्रामीण एक समय का भोजन मंदिर में ही करते है। जयश्री बेरिंगनाग होली उत्सव क्लब सांगला के अध्यक्ष रोहित चैथा, उपाध्यक्ष अश्वनी नेगी, सचिव जेपी नेगी, वरिष्ठ सलाहकार भाउ सिह नेगी, बलबहादुर नेगी, अनूप नेगी, सांगला पंचायत उपप्रधान भूपेष नेगी ने कहा कि इस विशेष पर्व को मनाने की पूरी तैयारी कर ली है। होली के अंतिम दिन प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी उपस्थित होंगे।
चुनावी के रंगों में फीकी पड़ी होली
होली के त्योहार को अब मात्र एक दिन रह गया है और बाजार भी रंग-बिरंगे रंगों से सरोबार हो गया है पर बाजारों में खरीददारों की रौनक कम है। लगातार खराब चल रहा मौसम भी त्योहार के उत्साह को ठंडा करने में प्रयासरत है। चुनावी रंगों में होली के रंग धूमिल पड़ते दिख रहे हैं। साथ ही मार्च महीना स्कूलों की फीस भरते हुए खाली हो जाता है। यह भी होली के रंगों को दस दस रुपये की छोटी सी पुड़िया में सीमित कर रहा है।
स्कूलों की बढ़ती फीस व अतिरिक्त खर्च लोगों को रंगों से दूर कर रही है। लोग सिर्फ टीका लगाने के लिए ही रंग खरीद रहे हैं। युवा वर्ग होली के पर्व के लिए अधिक उन्मादी हो उठता है परंतु परीक्षाओं के चलते उनका उत्साह ही कुछ कम ही नजर आ रहा है। जहां लोग होली के चार पांच दिन पहले ही रंग व मिठाई की खरीदारी शुरू कर देते थे वहीं एक दिन रह जाने पर भी दुकानों पर भीड़ नहीं है।
अभी तक उनके दुकान में रंग जैसे के तैसे है, खरीददार कम है। मार्च में लोगों के खर्चे भी बढ़ जाते हैं और इस बार तो चुनाव पड़ने से भी काम कम ही है तरुण, दुकानदार लोअर बाजार चुनाव व ठंड दोनों ही कारणों से होली के रंग नहीं बिक रहे। कुछ सालों से वैसे भी बाजार मंदा है। लोग सिर्फ शगुन के लिए ही रंग ले रहे हैं।
रिंकू