हिमाचल में हिमुडा का बड़ा फैसला 327 पद समाप्त, निदेशक मंडल की स्वीकृति के बाद लिया गया फैसला
हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (हिमुडा) ने लंबे समय से खाली पड़े 327 पदों को खत्म कर दिया है क्योंकि इनकी उपयोगिता महसूस नहीं हो रही थी। निदेशक मंडल की स्वीकृति के बाद यह निर्णय लिया गया। हिमुडा के सीईओ सुरेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि भविष्य में जरूरत होने पर ही इन पदों को भरा जाएगा।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (हिमुडा) ने लंबे समय से रिक्त 327 पद समाप्त कर दिए हैं। हिमुडा में कुल 633 पद सृजित हैं। समाप्त किए पदों की उपयोगिता ही महसूस नहीं की जा रही थी। यही वजह थी कि इन पदों को भरा ही नहीं गया। हिमुडा की निदेशक मंडल की बैठक में इसका प्रस्ताव आया था।
निदेशक मंडल की स्वीकृति के बाद इन्हें समाप्त कर दिया गया है। हिमुडा के सीईओ सुरेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि यदि भविष्य में इन पदों की जरूरत महसूस होती है तभी इन्हें भरा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार डिमुडा में उच्च पदों पर भी आने वाले दिनों में युक्तीकरण की तैयारी है। हिमुडा के पास प्रदेश के कई स्थानों पर जमीन है, लेकिन यहां नया निर्माण नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये जमीनें दूरदराज के क्षेत्रों में हैं और कुछ स्थानों पर तो सड़क की सुविधा भी नहीं है।
तीन बोर्ड व निगमों में कर्मचारियों के 417 पद समाप्त किए जा चुके हैं। नगर निगम शिमला में 52 पद समाप्त किए गए हैं। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड में 28 और राज्य बिजली बोर्ड में 337 पद समाप्त किए गए हैं। सरकार केवल उन्हीं पदों को समाप्त कर रही है जिनकी उपयोगिता नहीं है।
डॉ. राजीव बिंदल, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि हिमुडा में 327 पद समाप्त करना बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय है। हैरानी की बात है कि 327 युवाओं की नौकरी खत्म करने के बाद एक व्यक्ति के लिए एडवाइजर का पद सृजित किया गया।
इससे पहले भी कई सरकारी संस्थानों को बंद किया जा चुका है। अब रोगी, वन, पशु, बिजली मित्र रखकर नौकरियां देने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार में आउटसोर्स एवं नियमित भर्तियां बंद हो चुकी हैं। अब तो युवा ट्रेनी बनकर रह गया है। राज्य सरकार दिन प्रति दिन जनविरोधी निर्णय ले रही है।
तकनीकी शिक्षा, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ना कहा कि हिमुडा में युक्तीकरण के तहत केवल वही पद समाप्त किए गए हैं, जिनकी जरूरत नहीं थी।
दूसरे विभागों में भी इन कर्मचारियों को भेजा जा सकता है। 44 करोड़ रुपये साल में केवल वेतन के लिए ही चाहिए। कुछ डिवीजन बिना आवश्यकता के खोल दिए थे। अपनी संपत्तियों को बेचकर देनदारियों को चुकता किया जा रहा था। सुधार के लिए यह निर्णय लिया गया है। इससे प्रदेश के किसी भी कर्मचारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आने वाले दिनों में कुछ और योजनाएं हिमुडा शुरू कर रहा है।
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