Himcare Card: हिमाचल सरकार का लोगों की सेहत को झटका, हिमकेयर कार्ड की वैधता की कम, अब देना होगा वार्षिक शुल्क
Himcare Card Validity हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमकेयर कार्ड की वैधता को तीन साल से घटाकर एक साल कर दिया है। गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल और चिकित्सा अधीक्षक विशेष परिस्थितियों में कभी भी कार्ड बना सकेंगे। कार्ड बनवाने के लिए पोर्टल हर तीन महीने में खुलेगा। बीपीएल मनरेगा रेहड़ी-फड़ी वालों सहित कुछ वर्गों के लिए कार्ड निशुल्क है

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himcare Card Validity, हिमकेयर कार्ड हर साल प्रत्येक तिमाही मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर में बनाए जाएंगे। अब हिमकेयर कार्ड एक वर्ष के लिए ही मान्य होगा, पहले यह तीन वर्ष के लिए मान्य होता था। नई नीति के अनुसार विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए सरकार ने मेडिकल कालेजों के प्रिंसिपल और चिकित्सा अधीक्षक को विशेष परिस्थितियों में पूरे वर्ष में किसी भी समय कार्ड बनाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इन श्रेणियों में आने वाले परिवारों के लिए हिमकेयर कार्ड वर्ष में किसी भी समय बनाए जा सकते हैं।
यह निर्णय जुलाई, 2025 के बाद लागू होगा। पोर्टल जुलाई में खुला है और लोग इस माह कभी भी कार्ड बना सकते हैं। कार्ड एक वर्ष के लिए वैध रहेंगे और आवेदन करने के लिए पोर्टल प्रत्येक तीन माह बाद खोला जाएगा।
हिमकेयर कार्ड बीपीएल, मनरेगा, रेहड़ी-फड़ी वालों, अनाथों और जेल के कैदियों सहित विभिन्न वर्गों के लिए निश्शुल्क बनाया जाता है। एकल महिलाओं, अनुबंध व आउटसोर्स कर्मचारियों, 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगजन, मिड-डे मील वर्करों, अंशकालिक श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों से इन कार्डों के लिए 365 रुपये लिए जाते हैं। शेष पात्र वर्गों से 1,000 रुपये शुल्क लिया जाता है। यह जानकारी स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने दी।
2022 में जयराम सरकार ने लिया था तीन वर्ष मान्यता का निर्णय
वर्ष 2022 में राज्य सरकार ने हिमकेयर कार्ड को तीन वर्ष के लिए मान्यता देने का निर्णय दिया था, ताकि लोगों को बार-बार कार्ड बनाने में परेशानी न हो। लेकिन इससे सरकार को नुकसान हो रहा था। अब फिर से इसे एक वर्ष के लिए मान्यता करने का निर्णय लिया है। उससे पहले भी कार्ड एक हजार रुपये देकर एक वर्ष के लिए ही बनता था।
दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क उपचार
हिमाचल सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में दुर्घटना पीड़ितों को निश्शुल्क उपचार प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पैसे, बिल क्लीयरेंस या किसी रिश्तेदार के आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। प्रदेश में प्रति वर्ष चार हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इनमें हजारों लोग घायल होते हैं।
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