हिमाचल: स्कूल के कमरे की टूटी सीलिंग, दीवारों में आईं दरारें; खतरे में बच्चों की जान
शिमला सोलन और सिरमौर जिलों के कई स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। टूटी खिड़कियाँ गिरता प्लास्टर और दीवारों में दरारें छात्रों के लिए खतरा बनी हुई हैं। कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों और एसएमसी अध्यक्षों ने बताया कि उन्होंने मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग को कई बार लिखा है लेकिन बजट की कमी के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कितने सुरक्षित हैं स्कूल अभियान के तहत

जागरण टीम, रोहड़ू/सोलन/नाहन। जहां अभिभावक बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनकी पढ़ाई पर खर्च करते हैं और उनके लिए बेहतर घर का निर्माण भी करते हैं लेकिन जहां बच्चे पढ़ाई के लिए जाते हैं, वह भवन ही खस्ताहाल होंगे तो अभिभावकों की चिंता बढ़ना स्वाभिक है।
शिमला, सोलन व सिरमौर जिले के स्कूल भवनों की टूटी खिड़कियों के बाहर से खतरा और अंदर छत से गिरते प्लास्टर को देख लापरवाही उजागर कर रहा है।
स्कूल भवन की स्थिति काफी गंभीर है। भवन की हालत जानने के लिए हाल में निरीक्षण किया है। विद्यार्थियों को सुरक्षित जगह स्थानांतिरत करने के लिए कहा है। -गुलशन, प्रधान, चम्मो पंचायत।
समस्या : प्लास्टर झड़ने के कारण सरिया बाहर निकलने से छत क्षतिग्रस्त हो गई है। वर्षा में छत टपकती है। छात्रों ने बताया कि हाल ही में पढ़ाई के दौरान एक कमरे की छत से प्लास्टर गिरा था गनीमत रही कि कोई घायल नहीं हुआ।
छत की दीवार से प्लास्टर गिरता है। शौचालय की स्थिति भी खराब है। कई बार उच्च अधिकारियों को कह चुके हैं। अपने स्तर पर भवन की मरम्मत करवाई। सात वर्ष पहले आखिरी बार मरम्मत हुई थी।
-देवराज, प्रधान, एसएमसी।
मामला ध्यान में नहीं आया है। भवन की मरम्मत के लिए चार लाख रुपये का एस्टीमेट शिक्षा विभाग को भेजा है।
-गोपाल चौहान, उपनिदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग, सोलन।
भवन की स्थिति बारे अवगत करवाने पर हर बार पैसों की कमी की बात की जाती है। विद्यार्थी सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सकें इसके लिए विभाग जल्द नए भवन का निर्माण करवाए।
- देवेंद्र सिंह, एसएमसी अध्यक्ष।
समस्या: 1980 में प्राथमिक, 1995 में मिडल व 2005 में सेकेंडरी का दर्जा। 1995 में कक्षाएं बढ़ने पर तीन कमरे बनाए। अब भवन गिरने की कगार पर है। कमरों की खिड़कियों के शीशे नहीं हैं। छत का प्लास्टर उखड़ने से वर्षा का पानी कमरों में आता है। बच्चों को स्कूल के साथ नदी पर बने खस्ताहाल पुल से होकर आना पड़ता है।
उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया है और सरकार पैसा न होने की बात कह रही है। लोक निर्माण विभाग के जेई को पिछले दिनों भेजे भवन के आकलन का जवाब नहीं आया है। स्कूल के एक भवन में दो व दूसरे में तीन कमरे हैं।
-कपिल डेरूवान, कार्यकारी प्रधानाचार्य, तांगनू स्कूल।
20 वर्ष से स्कूल भवन जर्जर है। नए भवन के लिए स्कूल के नाम सात बीघा जमीन है, लेकिन शिक्षा विभाग के पास पैसा न होने से कार्य शुरू नहीं किया गया है। पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मुद्दा उठाया गया, लेकिन आश्वासन मिला।
-अनूप चंद्रनाहन, प्रधान, तांगनू।
पुराने भवन में छात्र खतरे के साये में पढ़ाई के लिए मजबूर है। शिक्षा विभाग को जल्द भवन का जीर्णोद्धार करवाना चाहिए।
-शाना देवी, एसएमसी अध्यक्ष!
समस्या : आजादी के 10 वर्ष बाद बना है। कच्ची दीवारों से प्लास्टर झड़ता रहता है सीलन की बदबू भरे कमरों में छात्रों को पढ़ाई करनी पढ़ती है।
स्कूल भवन बहुत पुराना है और कई बार भवन की मरम्मत की गई है। 2014-15 में पंचायत से स्वीकृत बजट से स्कूल की छत बदली गई है।
-योगेश खुराना, कार्यकारी केंद्रीय मुख्याध्यापक।
भवन का जीर्णोद्धार के लिए कई बार विधायक से बात की है और हरसंभव मदद का आश्वासन दिा है। विभागीय तौर पर भी पत्राचार किया है।
-गीता परगुवाण, पंचायत प्रधान, ढाकगांव।
भवन की हालत जर्जर हो चुकी है। शिक्षा विभाग को कई बार भवन की मरम्मत के लिए पत्र भेजा है, मगर अभी तक सरकार से बजट नहीं मिला है।
-ललित कुमार, एसएमसी अध्यक्ष।
समस्या : दीवारों में दरारें व छत से प्लास्टर गिरता है। सुरक्षा दीवार न होने से स्कूल में पालतू पशु तथा जंगली जानवर आ जाते हैं। 1995 में हाई व 2014 में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है। मगर कक्षाएं लगाने के लिए कमरे नहीं है। दो कमरे में दो हाल हैं, जिनमें से एक में आइटी लैब व दूसरे में कार्यालय है। जमा दो की कक्षाएं दो हाल में चलती हैं।
भवन की मरम्मत के लिए स्कूल प्रशासन ने कई बार प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा है। मगर अभी तक सरकार और शिक्षा विभाग ने बजट नहीं दिया है।
-सुचेता देवी, प्रधान, पंचायत पुनरधार।
बच्चों की सुरक्षा के लिए दैनिक जागरण कितने सुरक्षित हैं स्कूल अभियान चला रहा है। इसमें आपकी सहभागिता हमें प्रेरित करेगी। आपके गांव या क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के कैसे प्रबंध हैं...भवन जर्जर तो नहीं, बिजली के तार खुले तो नहीं हैं, चारदीवारी है या नहीं, खेल मैदान की क्या व्यवस्था है, छात्र-छात्राओं के लिए अलग शौचालय बनाए हैं या नहीं, आप हमें लिख भेजें। हमारा रिपोर्टर संबंधित स्कूल में जाकर रिपोर्ट तैयार करेगा और हम उसे प्रकाशित करेंगे।
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