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    क्या है हिमाचल का 'समोसा कांड', CM सुक्खू की प्लेट का स्वाद कैसे बीजेपी ने लिया; पढ़िए पूरा माजरा

    Updated: Fri, 08 Nov 2024 04:11 PM (IST)

    Himachal Samosa Scandal हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के समोसे विवाद को लेकर सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। समोसे (Himachal Samosa Controversy) विवाद की यह घटना 21 अक्टूबर को सीआईडी मुख्यालय में उस घटी जब मुख्यमंत्री के लिए भेजे गए समोसे और केक उनके कर्मचारियों को परोसे गए। विरोधी पार्टियां इस मामले पर तंज कस रही हैं।

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    हिमाचल में समोसे विवाद पर बैठी जांच तो बीजेपी ने जमकर कांग्रेस को घेरा (जागरण फोटो)

    डिजिडल डेस्क, शिमला। Himachal News: हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट कर के बाद एक नया मामला और चर्चा में आया है। दरअसल, यह मामला थोड़ा अजीब है। एक ऐसा मामला जो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू (HP Samosa Controversy) से जुड़ा हुआ है और अब सीआईडी ​​ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि आखिर सीएम सुक्खू के लिए भेजे गए समोसे और केक कर्मचारियों को कैसे परोसे गए।

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    जहां एक ओर इस मामले पर विरोधी पार्टियों तंज कस रही हैं। वहीं, रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कृत्य को सरकार विरोधी बताया और इसे वीवीआईपी (Samosa Scandal Himachal) की मौजूदगी के सम्मान के खिलाफ अपराध बताया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें शामिल लोग अपने एजेंडे के अनुसार काम कर रहे थे

    सीआईडी ​​मुख्यालय में 21 अक्टूबर को एक कार्यक्रम के दौरान हुई कथित घटना की पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) द्वारा पूरी जांच की गई। जांच में यह जानने की कोशिश की गई कि इस चूक के लिए कौन-से अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार थे।

    क्या है आखिर पूरा मामला

    तारीख 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री साइबर विंग के नए नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए सीआईडी ​​मुख्यालय गए थे।

    उस बीच बतौर रिफ्रेशमेंट समोसे और केक बजाय मुख्यमंत्री के उनके कर्मचारियों को परोसे गए। जिसके बाद अंदरूनी सीआईडी ​​जांच शुरू हो गई।

    डीजीपी अतुल वर्मा ने कहा कि मामले की जांच पुलिस मुख्यालय नहीं, बल्कि सीआईडी ​​कर रही है। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि एक महानिरीक्षक (आईजी) अधिकारी ने एक उपनिरीक्षक को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए शिमला के लक्कड़ बाजार में एक फाइव स्टार होटल से भोजन खरीदने के लिए कहा।

    यह भी पढ़ें- Himachal Samosa Controversy: सीएम सुक्खू की प्लेट से कैसे गायब हुआ समोसा, कौन कर गया चट; इंक्वायरी बैठी तो हुआ खुलासा

    इस आदेश के बाद, एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) और एक हेड कॉन्स्टेबल ड्राइवर ने समोसे और केक के तीन डिब्बे लिए और उन्हें इंस्पेक्टर रैंक की एक महिला अधिकारी को सौंप दिया।

    इस अधिकारी को पता नहीं था कि समोसे किसको दिए जा रहे हैं, इसलिए उसने डिब्बों को एक वरिष्ठ अधिकारी के कमरे में रखने का निर्देश दिया, जहां से उन्हें कमरों के बीच ले जाया गया।

    बक्सों में रखी चीजें सीएम के मेन्यू में नहीं थीं 

    पूछताछ के दौरान संबंधित अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पर्यटन विभाग के कर्मियों से पुष्टि की थी, जिन्होंने कथित तौर पर कहा था कि बक्सों में रखी चीजें सीएम के मेन्यू में नहीं थीं।

    जांच में आगे पाया गया कि एक एमटीओ (मोटर परिवहन अधिकारी) और एचएएसआई (मुख्य सहायक उप-निरीक्षक) को सीएम के कर्मचारियों के लिए चाय और जलपान जैसे प्रबंधन करने के लिए नियुक्त किया गया था।

    उनके बयान के अनुसार, महिला इंस्पेक्टर को सूचित नहीं किया गया था कि बक्सों के अंदर रखी चीजें मुख्यमंत्री के लिए थीं। बक्सों को खोले बिना उसने उन्हें एमटी सेक्शन में भेज दिया।

    इन बक्सों को एक सब-इंस्पेक्टर और एक हेड कॉन्स्टेबल ने खोला था और यह डीएसपी और आईजी के कार्यालय के कर्मचारियों के लिए था। इन निर्देशों का पालन करते हुए कमरे में लगभग 10-12 लोगों को चाय के साथ भोजन परोसा गया।

    दिए गए बयानों के आधार पर सीआईडी ​​रिपोर्ट बताती है कि केवल एक सब-इंस्पेक्टर को ही पता था कि बक्सों में सीएम के लिए जलपान है। फिर भी एक महिला इंस्पेक्टर की देखरेख में रखे गए इन बक्सों को आखिर तक मंजूरी के बिना एमटी अनुभाग में भेज दिया गया और अनजाने में ये सामान सीएम के कर्मचारियों को परोस दिया गया।

    बीजेपी ने की कड़ी निंदा

    वहीं, दूसरी ओर 'समोसा' विवाद पर हिमाचल प्रदेश के एलओपी जयराम ठाकुर ने कहा कि आजकल हिमाचल प्रदेश में सरकार जिस तरह से फैसले लेती है, वह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि बिना सोचे-समझे फैसले लिए जा रहे हैं।

    अब एक और विषय जिस पर चर्चा हो रही है, वह यह है कि समोसे जहां पहुंचने चाहिए थे, वहां नहीं पहुंचे, बीच में ही खो गए और मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश सरकार को लगा कि यह बहुत गंभीर मामला है और इस पर जांच होनी चाहिए।

    यह भी कहा गया कि यह सरकार विरोधी गतिविधि है। जिन लोगों ने इसे खाया, वे सरकार का हिस्सा रहे होंगे। यह सरकार विरोधी गतिविधि कैसे है? दुर्भाग्य से, बिना सोचे-समझे फैसले लिए जा रहे हैं।

    'बड़े-बड़े घोटोलों को छोड़कर समोसे पर इंक्वायरी'

    वहीं, बीजेपी नेता सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि इससे पूरे देश में इस सरकार की किरकिरी हो रही है। मुख्यमंत्री के किसी कार्यक्रम के लिए शिमला के रेडिसन होटल से समोसे और अन्य खाने का सामान मंगाया गया और उसको स्टाफ के लोगों ने खा लिया।

    हैरानी की बात है कि इन समोसों पर सरकार ने जांच बिठा दी। सतपाल सत्ती ने बताया कि प्रदेश में बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं और मुख्यमंत्री को और पुलिस विभाग को यह ध्यान में रखना चाहिए कि प्रदेश में हो रहे बड़े-बड़े घोटालों में मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सचिवालय तक कौन-कौन, क्या-क्या खा रहा है, उसका ध्यान रखना चाहिए न कि छोटी-छोटी बातों में जाना चाहिए।

    भाजपा नेता ने कहा कि इस समोसे प्रकरण की जांच रिपोर्ट एक डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी ने बनाई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से समोसे किसके लिए आये थे, किसने खा लिए।

    ऐसी छोटी-सी बात पर जांच बिठाना और इतने बड़े अधिकारियों को इसमें संलिप्त करना और उसके बाद जिन लोगों की गलती ध्यान में आ रही है।

    उनके लिए एंटी स्टेट और एंटी गवर्नमेंट शब्दों का इस्तेमाल करना, बहुत हैरान कर देने वाली बात है। सतपाल सत्ती ने कहा कि मेरा मानना है कि इस सरकार को जनता की कोई चिंता नहीं है, बल्कि कार्यक्रम के अंदर मंगाए गए समोसों की जांच की चिंता है। यह सरकार बिल्कुल फेल हो चुकी है और इस सरकार का पूरे देश के अंदर मजाक बन चुका है।

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