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    हिमाचल सरकार को 10 तरह के सैस से हुई 762 करोड़ रुपये की आय, किस उपकर से आया सबसे ज्यादा पैसा?

    Himachal pradesh Vidhan Sabha हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न प्रकार के 10 सैस लगाकर 762.13 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि सैस से प्राप्त राशि को उसी मद में खर्च किया जाएगा जिसके लिए वह लगाया गया है। विपक्ष ने कोविड सैस और गौवंश सैस पर सवाल उठाए।

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Kumar Sharma Updated: Thu, 28 Aug 2025 06:18 PM (IST)
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    हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शिमला स्थित परिसर।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal pradesh Vidhan Sabha, हिमाचल प्रदेश में 10 तरह के सैस लगाए जा रहे हैं। इन सैस के माध्यम से अभी तक राज्य सरकार को 762.13 करोड़ रुपये (7,62,13,60,421,.40)से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। इनमें से पांच सैस पूर्व सरकार के समय के लगे हुए हैं, जबकि कुछ वर्तमान सरकार ने लगाए हैं।

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    उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने वीरवार को विधायक बिक्रम ठाकुर के प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि जिस उद्देश्य के लिए सैस लगाया गया है सैस से जुटाए राजस्व को उसी मद में खर्च किया जाता है। इस राशि को कहीं और जगह खर्च नहीं किया जा सकता।

    उन्होंने कहा कि सरकार इसको लेकर जल्द ही एसओपी भी तैयार कर रही है। इसके तहत विभाग अपने स्तर पर ही सैस की राशि को खर्च कर सकेंगे। अभी इसका पैसा वित्त विभाग के पास होता है, लेकिन वित्त विभाग अपनी मर्जी से इस राशि को नहीं खर्च कर सकता।

    लोगों को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसलिए लगाया सैस

    उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में राजस्व जुटाने के लिए इस तरह के सैस लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसके लिए और राजस्व जुटाने के रास्ते तलाशने जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया है, जिससे आम आदमी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा दी जा रही 125 यूनिट फ्री बिजली की सेवा अभी भी जारी है।

    कोविड सैस का अब क्या औचित्य

    विधायक बिक्रम ठाकुर ने कहा कि सरकार आम लोगों पर 10 प्रकार के सैस लगा रही है। उन्होंने कहा कि एक सैस कोविड सैस है और यह क्यों जारी है, जबकि कोविड समाप्त हो चुका है। एक एंबुलेंस सेवा सैस है। वहीं क्या कारण है कि जब सैस से एंबुलेंस चल रही है तो मरीजों से क्यों किराया लिया जा रहा है।

    गौवंश सैस ले रही सरकार पर पैसा नहीं दे रही

    वहीं, विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सैस लगने से रेत व बजरी के दाम बढ़े हैं और इसकी मार आम गरीब आदमी पर पड़ी है। उन्होंने कहा कि क्या सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सैस लगने से आम जनता पर इसका कोई बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि गौवंश के नाम पर सैस तो लिया जा रहा है, लेकिन गौवंश के लिए जो राशि मिलनी चाहिए कई स्थानों पर पिछले तीन माह से नहीं मिल रही है।

    इस पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आम आदमी की सरकार है। जो सैस लगे हैं, उससे आम आदमी प्रभावित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि गौवंश की राशि को 700 रुपये से बढ़ाकर 1200 रुपए किया गया है और जहां यह राशि नहीं मिली है उसे जल्द जारी किया जाएगा।

    सैस से कितना राजस्व हुआ अर्जित

    • सैस का नाम, सैस से राजस्व प्राप्त, कब से लागू
    • पंचायती राज संस्था, 1,53,57,58,045, 3 नवंबर, 1999,
    • मोटर वाहन पर सैस 1,85,13,64,000, 1 अप्रैल, 2017
    • गऊ धन विकास निधि, 65,35,61,484, 1 अगस्त 2018
    • एंबुलेंस सेवा फंड, 16,97,16,447, 1 अगस्त 2018
    • कोविड सैस, 1,45,12,53,032 1 जून 2020 से 2023
    • मिल्क सैस, 1,12,76,10,710 1 अप्रैल 2023
    • प्राकृतिक खेती सैस, 21.78 1 अप्रैल 2024
    • दुग्ध उपकर, 21,41,043, 26 सितंबर, 2024
    • मिल्क और पर्यावरण सैस, 4,78,83,431.43, 19 नवंबर, 2009
    • लेबर सैस लोक निर्माण विभाग, 45,73,23,607, 4 दिसंबर 2009
    • लेबर सैस पाॅवर कारपोरेशन, 287,24577, 2023

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