Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या हिमाचल के सरकारी स्कूल होंगे CBSE के अधीन, कैबिनेट में होगी चर्चा; शिक्षा विभाग ने तैयार कर लिया प्लान

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 03:48 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार 200 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध कराने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है जिस पर कैबिनेट में चर्चा होगी। इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। संबद्ध स्कूलों के लिए शिक्षकों का अलग कैडर बनेगा और फीस की व्यवस्था पर भी विचार किया जाएगा। शिक्षा बोर्ड को इससे सालाना नुकसान होने की आशंका है।

    Hero Image
    स्कूलों को सीबीएसई के अधीन करने पर कैबिनेट में होगी चर्चा (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। राज्य सरकार 200 सरकारी स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की संबद्धता दिलाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए शिक्षा विभाग ने पूरी कार्य योजना (वर्क प्लान) तैयार किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    15 सितंबर को आयोजित होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी इस प्रस्ताव को चर्चा के लिए लाया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 229 स्कूलों की संभावित सूची तैयार की है। यह संभावित सूची है, चयन के लिए अभी लंबी चौड़ी प्रक्रिया रहने वाली है। जिसके लिए सरकार संबंधित क्षेत्रों के विधायकों की राय भी लेगी।

    सूत्रों के मुताबिक विभाग एक साथ 200 स्कूलों को सीबीएसई से संबद्धता नहीं दिलाएगा। बल्कि पहले साल 100 के करीब स्कूलों को शामिल किया जा सकता है।

    सरकार के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं, तो राजकीय अध्यापक संघ ने भी जल्दबाजी में इस निर्णय को न लेने का आग्रह सरकार से किया है।

    कैबिनेट में इस पर होगी चर्चा

    जो सरकारी स्कूल सीबीएसई से संबद्ध होंगे उनके लिए शिक्षक व गैर शिक्षकों का अलग कैडर बनाया जाएगा। इसके लिए चयन की क्या प्रक्रिया रहेगी। दूसरा जो शिक्षक इन स्कूलों में नियुक्त किए जाएंगे क्या उनके लिए रिफ्रैशर कोर्स करवाया जाएगा या फिर नई भर्ती की जाएगी।

    स्कूलों में बच्चों के लिए फीस की व्यवस्था किस तरह की रहने वाली है। सीबीएसई के एक स्कूल की संबद्धता (एफिलिएशन) फीस 70 हजार के करीब है। इसके अलावा स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं जुटानी पड़ेगी जिस पर अतिरिक्त खर्च पड़ेगा।

    शिक्षा बोर्ड ने भी कहा है कि जिन स्कूलों का संभावित चयन किया गया है उन्हें यदि सीबीएसई के अधीन किया जाता है तो उन्हें भी करीब पच्चीस करोड़ सालाना नुकसान होगा। सीबीएसई की परीक्षा फीस एचपी बोर्ड से कहीं ज्यादा है। इन सारे मामलों पर कैबिनेट में चर्चा होगी।