सावधान! हिमाचल में स्क्रब टायफस का पहला मामला, बरसात में जानलेवा बन जाता है एक कीट, जान लीजिए बचाव के उपाय
Scrub Typhus in Himachal शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में इस साल स्क्रब टायफस का पहला मामला सामने आया है। 32 वर्षीय महिला में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार बरसात के मौसम में इसका खतरा बढ़ जाता है खासकर जुलाई से अक्टूबर के बीच। यह बीमारी खेतों में रहने वाले चूहों के चिगर्स कीट के काटने से फैलती है

जागरण संवाददता, शिमला। Scrub Typhus in Himachal, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में इस साल स्क्रब टायफस का पहला मामला सामने आया है। शिमला निवासी 32 वर्षीय महिला स्क्रब टायफस से पीड़ित पाई गई है। अस्पताल में बुधवार को आठ टेस्ट किए गए थे। इसमें एक टेस्ट स्क्रब टायफस का पाजीटिव आया है।
आइजीएमसी के एमएस डा. राहुल राव ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बरसात शुरू होते ही लोगों को स्क्रब टायफस का खतरा भी सताने लगता है। बरसात के दिनों में स्क्रब टायफस के मामले तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं। स्क्रब टायफस का अधिक प्रकोप जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों, घासनियों और बगीचों में घास काटते हैं। इससे स्क्रब की चपेट में आना की आशंका ज्यादा रहती है।
कैसे आ सकते हैं इसकी चपेट में
खेतों, झाड़ियों में रहने वाले चूहों में पाया जाने वाले चिगर्स कीट के काटने से लोगों में स्क्रब टायफस फैलता है। कीट के जरिए ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया के कारण लोगों में यह संक्रमण तेजी से फैलता है। स्क्रब टायफस से कोई भी संक्रमित हो सकता है। खेतों में पाए जाने वाले इस कीट के कारण अधिकतर झाड़ियों और खेतों में काम करने वाले किसानों और बागबानों में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
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स्क्रब टायफस के लक्षण
इस बैक्टीरिया जनित बीमारी पिस्सु के काटने के 10 दिन बाद लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इससे संक्रमित व्यक्ति को बुखार आने के साथ ठंड लगती है। स्क्रब टायफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार तक पहुंच जाता है। सिरदर्द और बदन दर्द के साथ मांसपेशियों में भी तेजी से दर्द होता है। अधिक संक्रमण होने पर हाथ पैरों और गर्दन के साथ कूल्हें के नीचे गिल्टियां होने लगती हैं। इसके साथ ही इसके संक्रमण के बाद सोचने समझने की क्षमता में तेजी से बदलाव होता है।
हर वर्ष से पांच से छह लोग गंवाते हैं जान
हिमाचल प्रदेश में हर साल स्क्रब टायफस के मामले आते हैं। हर साल इस संक्रमण से पांच से छह लोगों की मौत होती है। हिमाचल प्रदेश में औसतन 1000 मामले स्क्रब टायफस के आते है। 2023 में स्क्रब टायफस के 1103 मामले आए थे व 2024 में स्क्रब टायफस के 857 मामले आए थे।
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