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    शिमला: छात्रवृत्ति घोटाला मामले में ED का एक्शन, दाखिल की एक और चार्जशीट; ₹30.5 करोड़ की संपत्ति अटैच

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 01:32 PM (IST)

    शिमला में छात्रवृत्ति घोटाले में, ईडी ने मनी लांड्रिंग मामलों में कार्रवाई तेज कर दी है। विशेष अदालत में देवभूमि एजुकेशनल ट्रस्ट और आइसीएल हाईटेक एजुक ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश में हुए स्कॉलरशिप घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लांड्रिंग के मामलों में कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी ने विशेष अदालत (PMLA) शिमला में एक और सप्लीमेंट्री प्रासिक्यूशन कंप्लेंट चार्जशीट दाखिल की है। ईडी की जांच में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (Post-Matric Scholarship) में हुए घोटाले का खुलासा हो रहा है।

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    ईडी के अनुसार, 17 दिसंबर को देवभूमि एजुकेशनल ट्रस्ट, भूपिंदर कुमार शर्मा व अन्य के विरुद्ध सप्लीमेंट्री प्रासिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल की गई है, जो ऊना स्थित देवभूमि इंस्टीट्यूट चला रहा था।

    ईडी जांच में क्या सामने आया?

    वहीं, इस वर्ष 22 अगस्त को आइसीएल हाईटेक एजुकेशनल सोसायटी, संजीव कुमार प्रभाकर व अन्य सह आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री प्रासिक्यूशन कंप्लेंट दायर की गई थी। यह सोसायटी हरियाणा में आइसीएल ग्रुप आफ कालेज संचालित करती थी। दोनों ही मामलों में आरोप है कि संस्थानों ने अपराध की आय को वैध दिखाने की साजिश रची।

    जांच में सामने आया है कि घोटाले को केवल फर्जी दाखिलों तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि हिमाचल प्रदेश ई-पास (HP ePASS) पोर्टल में योजनाबद्ध बदलाव कर वर्षों तक ज्यादा राशि निकलवाई गई। जिन छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी या कभी दाखिल ही नहीं हुए उनके नाम पर स्कालरशिप क्लेम अगले वर्षों में कोर्स बदलकर, जाति श्रेणी (एससी/एसटी/ओबीसी) में हेरफेर कर लाभ बढ़ाया गया। डे-स्कालर को हास्टलर दिखाकर ज्यादा पैसे प्राप्त किए गए।

    'घोटाले के पैसों से खरीदी प्रॉपर्टी'

    ईडी का कहना है कि इस तरह जुटाई रकम से आरोपियों ने अपने व स्वजन के नाम चल-अचल संपत्तियां खरीदीं, जिससे मनी लांड्रिंग का मामला पुख्ता हुआ। यह है छात्रवृत्ति घोटाला 2013 से 17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में हुई है।

    जांच में पता चला कि इस दौरान फर्जी दाखिलों, कोर्स व जाति श्रेणी में हेरफेर और डे-स्कालर को हास्टलर दिखाकर धन की निकासी की गई। ईडी की जांच में अब तक लगभग 30.5 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं।