सावधान! हिमाचल की सड़कों पर दौड़ रही मौत, 451 ब्लैक स्पाट चिह्नित, केंद्र की रिपोर्ट के बाद हरकत में तीन विभाग
Black Spot In Himachal हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर 451 ब्लैक स्पॉट हैं जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। पिछले चार सालों में इन स्थानों पर 395 लोगों की जान गई है। सरकार इन ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने के लिए प्रयासरत है जिसके लिए पुलिस परिवहन और लोक निर्माण विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Black Spot In Himachal, सावधान! अगर आप हिमाचल घूमने आ रहे हैं या फिर स्थानीय निवासी हैं तो गाड़ी चलाते समय गति पर नियंत्रण रखें.. या यूं कहें कि गाड़ी संभलकर चलाएं। प्रदेश की सर्पीली सड़कों पर 451 ब्लैक स्पॉट हादसों को न्योता दे रहे हैं। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद ब्लैक स्पॉट नहीं सुधर रहे हैं। हालांकि हर साल सरकार ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करती है। लेकिन हर साल नए ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं।
ब्लैक स्पॉट पर 395 लोगों की हो चुकी है मौत
पुलिस के आंकड़ों को देखें तो पिछले 4 सालों में ब्लैक स्पॉट पर 395 लोगों की मौत हो चुकी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार ने हिमाचल परिवहन विभाग को इसकी सूची भेजी है। इसके अनुसार वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक कुल 451 ब्लैक स्पॉट अभी भी दुरुस्त नहीं हुए हैं।
तीन विभाग प्राक्कलन तैयार कर करेंगे दुरुस्त
ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने का जिम्मा राज्य में पुलिस, परिवहन व लोक निर्माण विभाग के पास है। तीनों विभाग इन स्थानों की संयुक्त इंस्पेक्शन करेंगे। उसके बाद इसका प्राक्कलन तैयार किया जाएगा कि इसे दुरुस्त करने पर कितना खर्च आएगा। बजट मंजूर होने के बाद इन्हें दुरुस्त करने का कार्य किया जाएगा।
2021 से 2024 तक चिह्नित किए गए हैं 1864 ब्लैक स्पॉट
राज्य लोक निर्माण विभाग ने 30 नवंबर, 2024 तक इन ब्लैक स्पॉट को खुद चिह्नित किया है। हालांकि इन्हें दुरुस्त करने का काम भी चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में यानी 2021 से 2024 तक कुल 1864 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए। हालांकि विभाग 1147 ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने का दावा करता है।
कैसे सुधारे जा रहे ब्लैक स्पॉट
राज्य लोक निर्माण ब्लैक स्पॉट को खत्म करने के लिए रिटेनिंग वॉल, ब्रैस्टबॉल एवं पैरापिट सुरक्षा दीवार का निर्माण, क्रैश बैरियर, रोड साइन, तीखे मोड़ का सुधारीकरण करता है। यह कार्य साल भर चलता रहता है। इन्हें ठीक करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 15.62 करोड़ रुपये का प्रविधान सरकार ने किया था। इस साल इसकी राशि को और बढ़ाया गया है।
ऐसे तय होता है ब्लैक स्पॉट
ब्लैक स्पॉट को चिन्हित करने की परिभाषा को देखें तो सडक़ के 500 मीटर के स्ट्रेच में तीन साल में पांच दुर्घटनाएं हों या फिर तीन साल में दस लोगों की मौत उसी स्थान पर हो तो उसे ब्लैक स्पॉट माना जाता है। इस स्थान की पूरी पड़ताल के बाद इसे किस तरह से दुरुस्त किया जाना है यह देखा जाता है। वहां आखिर दुर्घटना का कारण क्या हो रहा है।
दैनिक जागरण ने चलाया था अभियान
दैनिक जागरण ने भी ब्लैक स्पॉट को लेकर राज्य व्यापी अभियान चलाया था। इसके तहत प्रदेश में कितने ऐसे स्थान है जहां पर हादसों का खतरा बना रहता है। यहां पर सड़क की हालत कैसी है। सरकार व प्रशासन के ध्यान में ऐसे मामले लाए थे। जिसके बाद इनकी हालत में सुधार भी किया गया था।
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कुछ साल में हादसों में आई कमी : निदेशक
परिवहन विभाग के निदेशक डीसी नेगी ने बताया कि ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने का कार्य जारी है। इन्हें दुरुस्त करने के बाद स्टील क्रैश बैरियर लगाए जाते हैं। यह कार्य संयुक्त रूप से होता है। पिछले कुछ सालों में सड़क हादसों में कमी आई है। इसका कारण यही है कि सड़कों की हालत पहले के मुकाबले सुधरी है।
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