Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल को मिला 800 करोड़ का ऋण, वित्तीय संकट में कुछ राहत पर मुश्किलें अभी भी नहीं कम

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 10:00 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश सरकार को मई के अंत में 800 करोड़ रुपये का ऋण मिला है जिससे सरकार को कुछ राहत मिली है। वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में सरकार 3 हजार करोड़ का ऋण ले चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा ऋण में कटौती के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ऋण प्रतिशत बढ़ाने का मामला उठाया था।

    Hero Image
    ऋण की शर्तों से सरकार की चिंता: अगले 7 महीने में 3200 करोड़ ऋण से कैसे मिलेगा सहारा

    राज्य ब्यूरो, शिमला। सरकार ने मई महीने के अंत में 800 करोड़ के ऋण के लिए आवेदन किया था, ये धनराशि सरकार के खाते में पहुंच गई है। प्रदेश सरकार वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान 3 हजार करोड़ का ऋण उठा चुकी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिसंबर तक अगले आठ माह में सरकार अब 3200 करोड़ का ही ऋण ले सकेगी। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कुल 6200 करोड़ का ही ऋण ले सकेगी। अंतिम तीन महीनों के दौरान केंद्र सरकार देश के सभी राज्यों के लिए ऋण धनराशि का निर्धारण करती है।

    ऐसा माना जा रहा है कि अंतिम तिमाही में सरकार को एक हजार करोड़ या इससे कुछ अधिक धनराशि लेने की अनुमति मिल सकती है।

    ऐसे में प्रदेश सरकार 31 मार्च, 2025 तक 7200 करोड़ ऋण लेने की स्थिति में रहेगी। इस समय प्रदेश सरकार का वेतन-पेंशन सहित देय देनदारियों के लिए 2800 करोड़ की आवश्यकता रहती है। मंत्रिमंडल की प्रत्येक बैठक में वित्त विभाग की ओर से राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर प्रस्तुति देकर मंत्रिमंडल सदस्यों को अवगत करवाया जा रहा है।

    ऋण में 5 हजार की कटौती

    केंद्र सरकार ने कांग्रेस के सत्ता में आते ही हिमाचल सरकार की 11 हजार करोड़ की ऋण धनराशि में पांच हजार की कटौती करके 6200 करोड़ तक सीमित किया था। प्रदेश सरकार को कोरानाकाल से लेकर 2023 तक पांच प्रतिशत ऋण उठाने की सुविधा प्राप्त थी। लेकिन सरकार अब तीन प्रतिशत ऋण ले सकती है।

    सीतारमण से ऋण प्रतिशत बढ़ाने का मामला उठा चुके मुख्यमंत्री

    गत माह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर राज्य की ऋण प्रतिशत में वृद्धि करने का मामला उठा चुके हैं। ऋण प्रतिशत बढ़ाने के पीछे तर्क दिया गया था कि आपदा से हुए नुकसान पर राज्य सरकार को स्वयं खर्च वहन करना पड़ा था।

    इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के फलस्वरूप ऋण की पांच प्रतिशत की सीमा को घटाकर तीन प्रतिशत सीमित किया गया।