हिमाचल में अब सरकार की मंजूरी के बिना सरकारी कर्मचारी को गिरफ्तार नहीं कर सकेगी पुलिस, पुलिस संशोधन अधिनियम लागू
Himachal Pradesh Police हिमाचल प्रदेश में अब पुलिस सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी के दौरान बिना सरकार की अनुमति के गिरफ्तार नहीं कर सकती। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधि विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। रिश्वत या नशीले पदार्थों के मामलों में बिना अनुमति गिरफ्तारी हो सकेगी लेकिन विजिलेंस जांच में अनुमति जरूरी होगी।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh Police, हिमाचल प्रदेश में अब कोई भी पुलिस अधिकारी सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी) को, उसके द्वारा लोक सेवक के रूप में कार्य करते समय गिरफ्तार नहीं कर सकेगा। प्रदेश सरकार द्वारा यह बिल भारत के राष्ट्रपति को स्वीकृति के लिए भेजा गया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन गया है। जिसके बाद विधि विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी है।
गिरफ्तारी के लिए ये होंगे निमय
सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत के साथ रंगे हाथ पकड़ने, नशीले पदार्थों के साथ या किसी अन्य अपराधों में सरकार से अनुमति लिए बिना गिरफ्तार किया जा सकेगा। जबकि विजिलेंस द्वारा की जा रही जांच में सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार करने के लिए सरकार से पहले अनुमति लेने होगी। उसके बाद ही उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा।
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कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल का हुआ स्टेट कैडर
पुलिस में भर्ती होने वाले कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल अब स्टेट कैडर में आ गए हैं। प्रदेश सरकार ने पुलिस संशोधन अधिनियम 2024 लागू कर दिया है। विधि विभाग की और से जारी अधिसूचना अब राजपत्र में प्रकाशित हो गई है। ऐसे में अब राज्य में कार्यरत 35 हजार से ज्यादा ग्रेड-2 पुलिस कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल का किसी भी जिले में तबादला किया जा सकेगा। जो नई भर्ती होगी, वह भी राज्य सरकार द्वारा बनाए गए भर्ती और पदोन्नति नियमों के अनुसार ही की जाएगी। पुलिस विभाग में काम की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
एक ही जिला में बने रहने से प्रभावित होते थे काम
अब इस अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। पहले ग्रेड-2 में आने वाले पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल का जिला कैडर था। इनका अपने जिला में ही तबादला होता था। जिस थाना के अधीन आते थे, केवल वहीं पर कार्यरत नहीं हो सकते थे। ऐसे में एक थाना से दूसरे थाना पर ही इन्हें तबादला कर भेजा जाता था। लंबे समय से एक ही जिला में बने रहने से काम भी प्रभावित होते थे। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
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