Himachal News: वन भूमि पर कब्जा न छोड़ने वालों पर होगी कार्रवाई, 14 को सुनवाई करेगा विभाग
Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। अदालत ने मुख्य सचिव और डीजीपी को वन विभाग की मदद करने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग ने बताया कि खाली कराई गई भूमि पर भी लोग बार-बार कब्जा कर रहे हैं। शिमला में सेब के बगीचे लगाने के सबसे ज्यादा मामले हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर अवैध कब्जे करने वालों पर कार्रवाई होगी। अतिक्रमण मामले को लेकर 14 जुलाई को सुनवाई होगी। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि वह अदालती आदेश की अनुपालना में वन विभाग की सहायता करें। हाल ही में प्रदेश उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई हुई। वन विभाग ने कई अहम मुद्दे अदालत के समक्ष रखे हैं।
वन विभाग की ओर से अदालत को बताया गया कि वन भूमि खाली करवाने के बाद भी कब्जा हो रहा है। लोग इस जमीन को नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे मामलों में जिन लोगों को वन विभाग ने चिह्नित किया है उनको अदालत ने 14 जुलाई को तलब किया है।
उप मुख्य अरण्यपाल रोहड़ू के माध्यम से वन विभाग ने अदालत से आए निर्णय को साझा करते हुए बताया कि अलग-अलग याचिकाओं में अदालत से लगातार वन भूमि को खाली करने के निर्देश मिले हैं। जिस पर वन विभाग काम कर रहा है।
शिमला जिला में सबसे अधिक मामले वन भूमि पर सेब के बागीचे स्थापित करने का है। कब्जाधारी बार बार कब्जा कर रहे हैं। वन विभाग ने बताया कि उनकी तरफ से लगातार पुन: अतिक्रमण नोट किया गया है व न्यायालय ने इस बात के साक्ष्य को स्वीकार किया कि बेदखल किए गए अतिक्रमणकारी बार-बार वन भूमि पर फिर से कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां सेब के बगीचे लगाए गए थे।
तस्वीरों में इन जमीनों पर सेब की फसल की सुरक्षा के लिए ओलावृष्टि जाल का उपयोग दिखाया गया है। राज्य के लिए प्रबंधन की चुनौतियां व वन विभाग अतिक्रमण भूमि पर सेब के बागों का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष कर रहा है व सेब के पेड़ों को गैर वनीय प्रजाति के रूप में देखा गया था और अदालत ने उन्हें देशी वन प्रजातियों से बदलने के राज्य के इरादे को मान्यता दी। अदालत की तरफ से जो जारी किए गए प्राथमिक निर्देश हैं उसमें वन विभाग को हिमाचल प्रदेश में पहले से अतिक्रमित वन भूमि से सेब के पेड़ों बगीचों को हटाने का निर्देश दिया गया है।
वनीकरण आदेश हटाने के बाद, विभाग को सीधे या वनीकरण में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों निजी निकायों के माध्यम से वन प्रजातियां लगानी चाहिए। बाधा डालने के विरुद्ध बलपूर्वक उपाय व सरकारी अधिकारियों को न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन में बाधा डालने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध 25,000 रुपये के जमानती वारंट जमानत सहित जारी करने को कहा गया है।
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