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    हिमाचल में भूस्खलन संभावित जगह नहीं होगा निर्माण, ...जहां बड़े नेता, वहां नियमों का उल्लंघन ज्यादा, धर्माणी ने किसे बनाया निशाना

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 02:09 PM (IST)

    Himachal Pradesh News नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में अब कोई निर्माण कार्य नहीं होगा। सरकार ऐसी जगहों को हरित क्षेत्र घोषित करेगी और सुरक्षित स्थानों पर निर्माण को बढ़ावा देगी। उन्होंने मंडी में खड्डों के किनारे बने शिक्षण संस्थानों पर चिंता जताई।

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    नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन संभावित जगह पर अब कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने भूस्खलन के खतरे वाले क्षेत्र के लिए एक नई योजना तैयार की है। सरकार ऐसी जगह को हरित क्षेत्र के रूप में घोषित करेगी।

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    नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने शुक्रवार को आपदा पर चर्चा के दौरान सदन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भवनों का निर्माण सुरक्षित स्थानों पर करने पर विचार किया जा रहा है, जबकि भूस्खलन वाले जंगल क्षेत्रों को हरित क्षेत्र घोषित करने की योजना है।

    जहां बड़े नेता, वहां नियमों का उल्लंघन ज्यादा

    धर्माणी ने बताया कि जहां बड़े नेता होते हैं, वहां नियमों का उल्लंघन अधिक होता है। उन्होंने कहा कि कानून तब तक प्रभावी नहीं होते जब तक उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया जाता। मंडी के दौरे के दौरान उन्होंने सरकारी शिक्षण संस्थानों के भवनों की स्थिति पर चिंता जताई, जो नालों और खड्डों के किनारे बने हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे भविष्य में नुकसान और बढ़ने की संभावना है।

    आपदा से हजारों कनाल भूमि बंजर : काजल

    भाजपा विधायक पवन काजल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा तो आई, लेकिन वर्तमान सरकार ने एक और आपदा लाई है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा में 2021 में हुई बाढ़ से हजारों कनाल भूमि बंजर हो गई।

    करसोग से सरकार का सौतेला व्यवहार : दीपराज

    करसोग से भाजपा विधायक दीपराज ने अपने क्षेत्र के प्रति सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि तत्तापानी में डंगा लगाने की मांग की गई, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया। इस प्रकार, वर्तमान स्थिति में बच्चों को स्कूल जाने के लिए खड्डों का सहारा लेना पड़ रहा है। बेलीराम को एक साल से पेंशन नहीं मिली और अब उनकी जमीन भी बह गई है। ऐसे में लोगों के सामने गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई हैं।

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