हिमाचल में बारिश और बाढ़ से मिलेगी राहत, आज से साफ रहेगा मौसम; इन जगहों पर छाए रह सकते हैं बादल
हिमाचल प्रदेश से मानसून एक-दो दिनों में विदा हो सकता है क्योंकि इसके लिए स्थितियां अनुकूल हैं। मौसम विभाग ने 22 से 24 सितंबर तक मौसम साफ रहने की संभावना जताई है। इस बार मानसून के दौरान प्रदेश में सामान्य से 45% अधिक वर्षा हुई और बादल फटने की 47 घटनाएँ दर्ज की गईं जिनसे भारी नुकसान हुआ है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल से मानसून एक से दो दिन में विदा हो सकता है। मानसून के विदा होने के लिए स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं। मौसम विभाग ने प्रदेश में 22, 23 व 24 सितंबर को मौसम साफ रहने की संभावना जताई है। हालांकि, एक-दो स्थानों पर हल्के बादल छा सकते हैं। प्रदेश में 20 जून को मानसून पहुंचा था।
इस बार मानसून के दौरान प्रदेश में 1025.9 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य से 45 प्रतिशत अधिक रही। पहली बार है जब बादल फटने की 47 घटनाएं दर्ज की गई हैं। 245 लोगों की बादल फटने, भूस्खलन, बाढ़ और अन्य कारणों से मौत हुई है। 47 लोग अभी भी लापता हैं। अभी तक प्रदेश में 4841 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है।
प्रदेश में रविवार को धूप खिलने के साथ कुछ स्थानों पर हल्के बादल छाए। इससे एक से चार डिग्री सेल्सियस तक अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। अधिकतम तापमान में सबसे अधिक वृद्धि कुकुमसेरी में 4.2, केलंग में 2.4 डिग्री सेल्सियस की दर्ज की गई। जबकि न्यूनतम तापमान में कांगड़ा में 4.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि बाकी स्थानों पर करीब एक डिग्री का अंतर आया है। प्रदेश में दो राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) और 372 सड़कें बंद हैं।
कुल्लू और ऊना में एक-एक राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं। मानसून की शुरुआत से ही आपदा का सिलसिला शुरू हुआ। 25 जून को कांगड़ा और मंडी जिले में आई बाढ़ से भारी तबाही मची। धर्मशाला में कई लोग बाढ़ के पानी में बह गए। इसके बाद 30 जून की रात मंडी जिले में बादल फटने की 12 घटनाओं ने तबाही मचा दी।
सराज विधानसभा क्षेत्र में घर, दुकानें, सड़कें और पुल जमींदोज हो गए। अकेले सराज में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और कई लापता हुए। जुलाई में कुल्लू और सिरमौर जिले में भारी तबाही मची। अगस्त में फिर मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिले में वर्षा ने कहर बरपाया।
मानूसन के विदा होने की स्थितियां अनुकूल बन रही हैं। ऐसे में जल्द इसके विदा होने की घोषणा हो सकती है। मानसून विदा होने के लिए वर्षा ही नहीं, नमी और अन्य स्थितियां जिसमें वायु का दबाव आदि भी देखा जाता है। -संदीप कुमार, वरिष्ठ विज्ञानी मौसम विज्ञान केंद्र शिमला।
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