मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए साइट को हरी झंडी, अब तीन विकल्पों पर विचार कर रही सरकार, केंद्र के 30 करोड़ क्यों लौटाए?
हिमाचल प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना की प्रक्रिया तेज हो गई है। उद्योग विभाग ने एक साइट को मंजूरी दे दी है और सरकार अब तीन विकल्पों पर विचार कर रही है। साथ ही, केंद्र सरकार को 30 करोड़ रुपये वापस करने के कारणों की जांच की जा रही है। इस पार्क से राज्य में चिकित्सा उपकरण निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

नालागढ़ में मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए साइट फाइनल कर दी गई है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। नालागढ़ में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क के विकास की दिशा में प्रदेश सरकार ने ठोस कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने साइट का निरीक्षण करने के बाद तीन संभावित विकल्प प्रस्तुत किए हैं। उम्मीद है कि दिवाली के बाद होने वाली मंत्रिमंडल बैठक में इनमें से किसी एक विकल्प पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस पार्क में 1623 में छोटे-बड़े तीन सौ उद्योग स्थापित किए जा सकेंगे। मंत्रिमंडल की अगली बैठक में यह तय किया जाएगा कि इन तीन विकल्पों में से कौन-सा मॉडल राज्य के लिए अधिक व्यावहारिक और आर्थिक रूप से लाभकारी रहेगा।
साइट को समिति ने दी हरी झंडी
मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने नालागढ़ की प्रस्तावित साइट का दौरा कर इसे मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए उपयुक्त पाया है। इस संबंध में समिति ने साइट निरीक्षण के बाद पार्क निर्माण को हरी झंडी दे दी है। उपसमिति में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के साथ राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, सार्वजनिक निर्माण मंत्री राजेश धर्माणी और ग्रामीण विकास मंत्री यादवेन्द्र गोमा सदस्य हैं। समिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) आरडी नजीम, उद्योग विभाग के निदेशक डा. यूनुस और अतिरिक्त निदेशक तिलकराज शर्मा भी शामिल हैं।
ये हैं तीन विकल्प
पहला विकल्प यह है कि पार्क के विकास के लिए राज्य औद्योगिक विकास निगम को 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी जाए। दूसरा विकल्प ऋण लेकर पार्क को विकसित करने का है, ताकि औद्योगिक घरानों को उद्योग स्थापित करने के लिए भूमि उपलब्ध कराई जा सके। तीसरा विकल्प यह है कि पार्क की मौजूदा स्थिति में ही उद्योगों को भूमि आवंटित की जाए और उससे प्राप्त राशि का उपयोग पार्क के आगे के विकास कार्यों में किया जाए।
केंद्र के 30 करोड़ लौटाए
हिमाचल सरकार अब तक इस परियोजना पर 134 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। केंद्र ने इस परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये की सहायता स्वीकृत की थी, जिसमें से 30 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके थे। इस परियोजना में 349 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। हालांकि, राज्य सरकार ने केंद्र की कुछ शर्तों को स्वीकार करने से इनकार करते हुए अपने संसाधनों से ही पार्क विकसित करने का निर्णय लिया था। परिणामस्वरूप, केंद्र से प्राप्त राशि को राज्य सरकार ने वापस लौटा दिया है।
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