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    लोकसभा चुनाव की आवाज सुनता हिमाचल प्रदेश

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Vinodiya
    Updated: Thu, 21 Dec 2023 05:00 AM (IST)

    संसद की सुरक्षा में सेंध को मुद्दा बनाने निकले प्रतिपक्ष के 141 सदस्य निलंबित हो चुके हैं। इनमें से कुछ ने संसद परिसर में ही अपने अभिनय कौशल से देश को परिचित करवाते हुए संवैधानिक पदों बैठे व्यक्तियों का उपहास उड़ाया। ठीक इसी समय कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में जारी है।

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    जयराम ठाकुर से मिलते मुख्‍यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्‍खू। साथ हैं, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह

    जागरण संवाददाता, शिमला। संसद की सुरक्षा में सेंध को मुद्दा बनाने निकले प्रतिपक्ष के 141 सदस्य निलंबित हो चुके हैं। इनमें से कुछ ने संसद परिसर में ही अपने अभिनय कौशल से देश को परिचित करवाते हुए संवैधानिक पदों बैठे व्यक्तियों का उपहास उड़ाया। ठीक इसी समय, कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला में जारी है। 

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    तपोवन स्थित उसी भवन में, जो वर्ष में केवल पांच या छह दिन गुलजार रह कर शेष समय अपने ही सन्नाटे का शोर सुनने के लिए भाग्य बद्ध है। यहां प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही भारतीय जनता पार्टी दो दिनों से निरंतर कुछ प्रयोगशील अभ्यास कर रही है। पहले दिन भाजपा के 25 विधायकों ने बायोडिग्रेडेबल शीट पहनी हुई थी, जिन पर कांग्रेस सरकार को गारंटियों का स्मरण करवाया गया था। 

    दूसरे दिन बांस से बनी टोकरियों में सूखा गोबर भर कर विधानसभा के प्रवेश द्वार के बाहर तक दो रुपये प्रति किलोग्राम गोबर खरीद की याद दिलाई गई। किंतु ध्यानाकर्षण के लिए ये अतिरिक्त गतिविधियां बाहर करने के पश्चात विपक्ष ने अंदर कार्यवाही में भी भाग लिया। संसद की सुरक्षा के लिए जब पूरा देश चिंतित हो, नारे लिखी बायोडीग्रडेबल शीट कैसे परिसर तक पहुंची, एक जांच इस पर भी बनती है। जो हो, हिमाचल प्रदेश में पक्ष और प्रतिपक्ष शालीनता बरकरार रखते हैं, यह भरोसा अब तक तो है।

    किंतु, यहां के ठंडे सुबह और शाम के बीच दिन में सूरज को तापने वाले दिन अब लोकसभा चुनाव की आहट सुन रहे हैं। इसका संकेत दोनों दल-अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दे रहे हैं। प्रदेश भाजपा के मनोबल के पीछे तीन राज्यों -छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मिली शानदार जीत है जबकि हार के बाद कांग्रेस रक्षात्मक होकर ही सही, घर की बिखरी हुई चीजों को सजाने की ओर बढ़ रही है। 

    भारतीय जनता पार्टी में नई शक्ति का संचार वास्तव में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के दो दिवसीय दौरे ने किया। नड्डा ने पांच राज्यों में हुए चुनाव को युद्ध बताया और स्वयं को इसलिए भावुक बताया क्योंकि बकौल उनके, वह सैन्य पृष्ठभूमि वाले हिमाचल प्रदेश में उस सैनिक की तरह आए हैं जो युद्ध जीत कर लौटता है और अपनों के बीच बैठता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में उन्हें खिलाड़ी बताते हुए नड्डा ने जनता से इस बार चौका मारने को कहा। चौके का अर्थ पूछते हुए उन्होंने गेंद को बाउंड्री लाइन के पार भेजने का जिक्र भी किया। 

    छह संसदीय सीटें होतीं तो जाहिर है, वह छक्का मारने को कहते। 2022 के विधानसभा चुनाव में हुई हार पर भी उन्होंने बड़ी बात कही कि हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं में आत्म विश्वास की कमी थी, इसलिए वह उपलब्धियां नहीं पहुंचा पाए और कांग्रेस ने जनता को भ्रमित कर लिया। अब हिमाचल प्रदेश भाजपा कितना आत्म विश्वास बढ़ा पाती है, यह देखना है।

    कांग्रेस को, पूरी कर दी गई अपनी गारंटियों पर भरोसा है और उसकी ओर से लगातार आश्वासन उन गारंटियों के लिए है जो अभी पूरी नहीं हुईं। उसके पास आपदा के महीनों में हुई हानि की वास्तविक कहानी है पर साथ ही केंद्र की बेरुखी की शिकायत भी। घर को सजाने के क्रम में मंत्रिमंडल के दो पद भर दिए गए हैं और एक रिक्त रखा है। यह रिक्त पद कई तलबगारों के सपनों में रंग भरता रहेगा। संभव है, इसके बहाने उम्मीदवार अपनी कार्यशैली से जनता को कोई उम्मीद बंधाएं। 

    बिलासपुर से वही राजेश धर्माणी मंत्री बने हैं, जिन्होंने वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहते हुए वाहन और अन्य सुविधाएं लौटा दी थी। दूसरे, मल्लिकार्जुन खरगे के स्नेहाधीन मंत्री बने युवा इंजीनियर यादविंद्र गोमा हैं जो वंचित वर्ग से आते हैं। विभाग अभी नहीं बंटे हैं और इस प्रक्रिया में विभागों में फेरबदल भी स्वाभाविक दिख रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की ओर से उठती मांग के अनुरूप कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान (सरकार में पद, निगमों और बोर्डों में ताजपोशी) की भी सुगबुगाहट है। 

    सिरमौर जिले के रेणुकाजी क्षेत्र के विधायक विनय कुमार मंगलवार को ही विधानसभा उपाध्यक्ष बने हैं। उपमुख्यमंत्री पद का विरोध करते हुए जो याचिका भाजपा ने उच्‍च न्‍यायालय में दाखिल की थी, उसे वापस ले लिया गया है। क्योंकि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा ने दो-दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं। हिमाचल में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के लिए यह राहत की बात है। सदन में सरकार की आवाज का दम मुख्यमंत्री के बाद मुकेश अग्निहोत्री में दिखता है। 

    यह वही मुकेश हैं जिन्होंने भाजपा विधायक के, जल शक्ति विभाग से जुड़े प्रश्न का उत्तर मंगलवार को 250 पन्नों में दिया और कहा कि ऐसे प्रश्न सूचना के अधिकार के अंतर्गत पूछे जाते हैं और सामान्यत: विधायक ऐसे प्रश्न नहीं पूछते हैं क्योंकि मुकेश के अनुसार, ‘यह प्रश्न किसी ठेकेदार या अधिशासी अभियंता का है।’ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वास्थ्य के मोर्चे से निकल कर सरकार, संगठन, और संसदीय क्षेत्र के मोर्चे पर भी बने हुए हैं। क्योंकि हिंदी पट्टी में कांग्रेस के वही एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, इसलिए आलाकमान को भी उनसे अपेक्षाएं बढ़ गई हैं।

    बहरहाल, आत्मनिर्भर बनने का सपना देखते आ रहे हिमाचल का हित इसी में है कि पक्ष और प्रतिपक्ष प्रदेश हित के मुद्दों पर मिल कर चलें। राजनीति यदि परिवेशनीति से बड़ी हो जाए तो यह प्रदेश हित में नहीं होगा।

    श्रीराम और संस्कृत सबके

    संस्कृत भाषा और श्रीराम सबके हैं, इसके कुछ राजनीतिक उदाहरण बीते दिनों देखने को मिले। मंत्री नहीं बन पाए धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने बीते दिनों संस्कृत में एक वाक्य लिखा जिसका अर्थ था कि युद्ध निरंतर जारी है... कभी भाग्य, कभी समय और कभी अपनों के साथ। इसका जवाब भी इंटरनेट मीडिया पर संस्कृत में ही उनके ही दल के नेता ने दिया कि समय के अभिशाप से पहले अच्छे कर्म करना बेहतर है। 

    इधर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने घोषणा की है कि वह अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसी बीच, कांग्रेस के एक युवा नेता अभिषेक राणा ने भी इंटरनेट मीडिया पर जय सियाराम लिखा है। अब इसके राजनीतिक अर्थ तो राजनीति वाले जानें, किंतु देवभाषा और देव के प्रति आस्था का संकेत आश्वस्ति कारक है।