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    Himachal में बार-बार क्यों हो रहा है भूस्खलन? विशेषज्ञ करेंगे अध्ययन, 200 जगहों पर होगी भूमि धंसने की जांच

    By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 02:48 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून में भूस्खलन से भयंकर तबाही मची है। भूस्खलन के कारण 111 लोगों की मौत हुई है। वहीं अब भूस्खलन को लेकर अध्ययन किया जाएगा। अध्ययन के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण आईआईटी रोपड़ और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। लगभग 200 स्थानों पर भूमि धंसने के कारणों की जांच की जाएगी।

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    हिमाचल प्रदेश में विशेषज्ञ करेंगे भूस्खलन पर अध्ययन। (फाइल फोटो)

    शिमला, पीटीआई। Himachal Pradesh Landslides हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के गहन अध्ययन के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रोपड़ और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

    राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, इस साल मानसून (Monsoon In Himachal) में 24 जून से 11 सितंबर के बीच 165 भूस्खलन में 111 लोगों की मौत हुई। आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में 17,120 ऐसे स्थान हैं, जहां भूस्खलन का खतरा बना रहता है। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 675 स्थान महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और बस्तियों के करीब हैं।

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    200 स्थानों पर होगी भूमि धंसने की जांच

    अधिकारियों ने भूस्खलन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अध्ययन में लगभग 200 स्थानों पर भूमि धंसने के कारणों की जांच की जाएगी, जहां कोई निर्माण नहीं हुआ है। प्रधान सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि राज्य में भूस्खलन के गहन अध्ययन के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (रोपड़) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।

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    अधिकारियों के अनुसार, शिमला शहर में भूस्खलन (Landslide In Shimla) के कारणों का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मिट्टी में पानी की संतृप्ति, नालियों पर निर्माण और ढीली परतों के कारण इमारतें ढह गईं।

    निर्माण से पड़ा पहाड़ियों पर बोझ

    हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (HIMCOSTE) के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी, एसएस रंधावा ने पिछले महीने पीटीआई को बताया था कि निर्माण के कारण पहाड़ियों पर अत्यधिक बोझ पड़ा और इसी वजह से शिमला में भूस्खलन की घटना हुई। एसएस रंधावा भूस्खलन के कारणों का अध्ययन करने के लिए गठित समिति के समन्वयक भी हैं।

    उल्लेखनीय है कि अगस्त में शिमला शहर में तीन बड़े भूस्खलनों में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई। समर हिल स्थित शिव मंदिर में हुए भूस्खलन में 20 लोगों की मौत हुई। वहीं फागली में पांच और कृष्णानगर में 2 लोगों की मौत हो गई।

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