Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगले दो महीनों में Wildflower Hall की चाबी हिमाचल सरकार को सौंपे ओबेरॉय होटल ग्रुप, हिमाचल HC का बड़ा फैसला

    Updated: Sat, 06 Jan 2024 10:26 AM (IST)

    Wildflower Hall हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने ओबेराय होटल ग्रुप को आदेश दिया है कि वह वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल (Wild Flower Hall) छराबड़ा (शिमला) का कब्जा दो माह के भीतर हिमाचल सरकार को सौंप दें। इस बाबत कोर्ट ने सीएम नियुक्त करने के लिए भी कहा है। वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल से जुड़ा यह मामला सालों से चल रहा है।

    Hero Image
    हिमाचल हाईकोर्ट: 1993 में वाइल्ड फ्लावर हॉल में लगी थी आग

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने ओबेराय होटल ग्रुप को आदेश दिया है कि वह वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल (Wild Flower Hall) छराबड़ा (शिमला) का कब्जा दो माह के भीतर हिमाचल सरकार को सौंप दें। कोर्ट ने इस संबंध में वित्तीय मामले निपटाने के लिए दोनों पक्षों को नामी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नियुक्त करने का आदेश भी दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    1993 में वाइल्ड फ्लावर हॉल में लगी थी आग

    सरकार के आवेदन का निपटारा करते हुए कहा कि ओबेराय ग्रुप आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का पालन तीन माह की तय समयसीमा के भीतर करने में असफल रहा, इसलिए प्रदेश सरकार होटल का कब्जा और प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए पात्र हो गई। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए मामले की अनुपालन रिपोर्ट 15 मार्च को पेश करने का आदेश दिया। मामले के अनुसार 1993 में वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल में आग लग गई थी। इसे फिर से फाइव स्टार होटल के रूप में विकसित करने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए थे।

    1996 में सरकार ने कंपनी के नाम भूमि को ट्रांसफर किया

    निविदा के तहत ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड ने भी भाग लिया और प्रदेश सरकार ने उसके साथ साझेदारी में कार्य करने का निर्णय लिया। संयुक्त उपक्रम के तहत ज्वाइंट कंपनी मशोबरा रिजोर्ट लिमिटेड के नाम से बनाई गई। करार के अनुसार कंपनी को चार वर्ष के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को दो करोड़ रुपये जुर्माना प्रतिवर्ष प्रदेश सरकार को अदा करना था। 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम भूमि को ट्रांसफर किया। छह वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी पूरी तरह होटल को उपयोग लायक नहीं बना पाई। 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार को रद कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी ला बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। कंपनी ला बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। हिमाचल सरकार ने इस निर्णय को हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी। हाई कोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए आर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) के पास भेजा।

    एकल पीठ के निर्णय को दी गई थी चुनौती

    आर्बिट्रेटर ने 2005 में कंपनी के साथ करार रद किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी। खंडपीठ ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए निर्णय में कहा कि मध्यस्थ की ओर से दिया गया फैसला सही और तर्कसंगत है। कंपनी के पास यह अधिकार बिल्कुल नहीं कि करार में जो फायदे की शर्तें हैं, उन्हें स्वीकार करे और जिससे नुकसान हो रहा हो, उसे नजरअंदाज करे।

    यह भी पढ़ें- Vande Bharat Express: पहली बार अमृतसर से दिल्ली के लिए रवाना हुई वंदे भारत, कुछ ही घंटो में पहुंचेगी दिल्ली; जानें सप्ताह में कितने दिन चलेगी ट्रेन

    यह भी पढ़ें- Himachal Weather: पर्यटकों को मिलेगा Snowfall का मजा, हिमाचल में तीन दिन बारिश-बर्फबारी के आसार; जानें मौसम का हाल

    comedy show banner