हिमाचल प्रदेश HC में कॉन्ट्रैक्ट सेवाओं के लाभ न देने की एक्ट की वैधता पर अंतिम सुनवाई 13 को, कर्मचारी कह रहे ये बात
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अनुबंध कर्मचारियों को लाभ से वंचित रखने वाले एक्ट की वैधता पर 13 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई होगी। कर्मचारियों ने एक्ट को चुनौती दी है उनका कहना है कि सरकार ने वित्तीय लाभ वापस लेने के लिए असंवैधानिक अधिनियम लाया है। कर्मचारियों का तर्क है कि सरकार न्यायिक पालिका पर अतिक्रमण कर रही है।

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में कर्मचारियों को अनुबंध सेवाओं के लाभ न देने की मंशा से लाए एक्ट की वैधता पर 13 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई होगी। अनुबंध पर नियुक्त हजारों कर्मचारियों ने एक्ट को चुनौती दी है।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने 2003 के बाद उन्हें अनुबंध पर नियुक्त किया था और समय-समय पर नियमित किया गया। अनुबंध सेवा अवधि को नियमित सेवा के साथ नहीं जोड़ने और वित्तीय लाभ न देने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट तक केस जीतने के बाद उन्हें दिए गए वित्तीय लाभ वापस लेने के लिए सरकार ने असंवैधानिक अधिनियम लाया। कर्मचारियों का कहना है कि बेशक सरकार के पास अधिनियम लाने की शक्तियां प्राप्त हैं परंतु उनके पास भी प्रतिकार करने का अधिकार है।
कर्मचारियों ने दलील दी है कि सरकार न्यायिक पालिका पर अतिक्रमण कर रही है क्योंकि अदालत के निर्णयों को केवल अदालती निर्णयों से ही बदला या पलटा जा सकता है। सरकार अधिनियम लाकर अदालत के निर्णय में रह गई किसी त्रुटि को दूर करने की शक्ति रखती है।
हिमाचल प्रदेश भर्ती और सरकारी कर्मचारियों की सेवा की शर्त अधिनियम, 2024 (एक्ट) की आड में हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अतिक्रमण करने की कोशिश की जा रही है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रमेश वर्मा की खंडपीठ के समक्ष इन मामलों पर सुनवाई हुई।
प्रार्थियों का कहना था कि 2008 में अनुबंध आधार पर नियुक्त हुए थे जबकि नियमों के तहत उन्हें नियमित नियुक्ति दी जानी चाहिए थी। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर उन्हें शुरुआत से ही नियमित मानते हुए इससे उपजे लाभ प्रदान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की।
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