नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट के बाद हिमाचल के राज्यपाल ने भी उठाए सवाल, ...स्लीपर साबित करते हैं अवैध कटान
Himachal Governor राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश की नदियों में लकड़ी बहने के मामले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान नदियों में स्लीपर बहकर आए जिससे वन कटान साबित होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाया था जिसके बाद वन विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार की। राज्यपाल ने सरकार को कठोर कदम उठाने की नसीहत दी।

संवाद सहयोगी, डलहौजी। हिमाचल प्रदेश की नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राज्यपाल ने भी सवाल उठाए हैं। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में आई भयंकर आपदा के दौरान नदियों में स्लीपर बहकर आए हैं, जिससे साबित होता है कि वनों का अवैध कटान हुआ है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी हिमाचल की रावी और ब्यास नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सवाल उठा चुका है। प्रदेश के वन विभाग ने इसके बाद जांच रिपोर्ट भी तैयार कर ली है।
प्रदेश सरकार को दी नसीहत
प्रदेश सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि यह चिंतनीय है कि कई लोगों ने घर नदी-नालों के किनारे बना रखे हैं। जलस्तर बढ़ने पर नदी-नालों ने अपना रास्ता बनाते हुए लोगों के आशियानों को लील लिया।
वन भूमि के लिए अनुमति तक कष्ट
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्रीय टीमों द्वारा नुकसान का आकलन के बाद प्रदेश की और मदद करने पर विचार कर रहे हैं। आपदा में लोगों के घरों, जमीनों को काफी नुकसान हुआ है। कई परिवार भूमिहीन हो गए हैं। कई लोगों की मौत हो गई। प्रदेश में वन भूमि है और जब तक संबंधित विभागों की अनुमति नहीं मिल जाती तब तक थोड़ा कष्ट है। आपदा प्रभावितों के पुनर्वास की हरसंभव व्यवस्था की जाएगी।
आपदा प्रभावितों को दी राहत सामग्री
राज्यपाल ने आपदा राहत कार्यों के लिए केंद्र से 1500 करोड़ मिलने पर प्रधानमंत्री का आभार जताया। राज्यपाल ने रविवार को डलहौजी की बनीखेत पंचायत के सामुदायिक भवन में आपदा प्रभावितों को खाद्य एवं राहत सामग्री वितरित की। ककीयाना गांव के आपदा प्रभावित लोगों ने पुनर्वास के लिए जमीन मांगी। राज्यपाल ने प्रभावितों को हरसंभव सहायता दिलवाने का भरोसा दिलाया।
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