हिमाचल में अब रास्ते, पेयजल व सिंचाई योजनाओं पर अवैध दावा किया तो होगी जेल, लोक उपयोगिता विधेयक में प्रविधान
Himachal Pradesh Assembly हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने लोक उपयोगिता प्रतिषेध विधेयक पारित किया जिसके तहत लोक उपयोगिता में बाधा डालने पर छह महीने की जेल और 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा। यह कानून लोक उपयोगिता वाली जमीनों पर अपना हक जताने वालों पर रोक लगाएगा। इस विधेयक को सिविल न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh Assembly, हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने लोक उपयोगिता प्रतिषेध विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया। विधेयक के अधिसूचित होने के बाद यह कानून प्रभावी होगा। इसके तहत लोक उपयोगिता में विघ्न डालने पर छह माह का कारावास और दो से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अनुपस्थिति में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। पिछले सप्ताह शुक्रवार को शिक्षा मंत्री ने ही इस विधेयक को सदन में पेश किया था।
विधेयक के प्रविधानों के अनुसार, प्रदेश में कई रास्ते, पेयजल और सिंचाई योजनाएं, सरकारी भवन, नहरें और अन्य लोक उपयोगिता से जुड़े अधोसंरचना विकास कार्य ऐसी जमीनों पर हुए हैं, जिनका स्वामित्व किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, न्यास या सोसायटी के पास है। इनमें से कई कार्य सरकारी या जनसाधारण के धन से हुए हैं।
कुछ जमीनों के स्वामियों के साथ लिखित में उपयोगिता को लेकर समझौता है, जबकि कई मौखिक हैं। हाल ही में जमीनों के भाव बढ़ने के कारण लोग लोक उपयोगिता वाली जमीनों पर अपना हक जताने लगे हैं। इससे लोक उपयोगिता की चीजों में परिवर्तन या विघ्न डालने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने इस कानून का मसौदा तैयार किया है, ताकि लोक हित में कोई भी व्यक्ति विघ्न न डाल सके।
सिविल न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकेंगे
लोक उपयोगिता प्रतिषेध विधेयक के कानून बनने के बाद इसे सिविल न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इस मामले में सुनवाई कलेक्टर करेंगे, और उनके फैसले को 30 दिनों में वित्तायुक्त के पास चुनौती दी जा सकेगी। आदेशों की अवहेलना पर सजा का प्रावधान भी होगा। इसके साथ ही लोक उपयोगिता को नष्ट करने, विघ्न डालने या परिवर्तित करने पर कानूनी रोक रहेगी।
आइपीसी, सीआरपीसी का स्थान लेगी भारतीय न्याय संहिता
इसके अलावा, सोमवार को हिमाचल विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक 2025 भी पेश किया गया। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने इसे सदन में प्रस्तुत किया।
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केंद्र सरकार ने देश में आइपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य कानून के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता -2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू किया है। पंचायती राज कानून में संशोधन कर सरकार इसमें बीएनएस की धाराओं को शामिल करेगी।
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