हिमाचल में 95 पेंशनर बनेंगे ईडी के गवाह, खुलेगा पेंशन घोटाले का काला चिट्ठा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नाहन पेंशन घोटाले में 95 पेंशनरों को गवाह बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। एजेंसी के अनुसार, पेंशन का रुकना घोटाले का प्रमाण ...और पढ़ें
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हिमाचल पेंशन घोटाला: ईडी बनाएगी 95 पेंशनरों को गवाह।
चैतन्य ठाकुर, शिमला। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नाहन में हुए पेंशन घोटाले में 95 पेंशनरों को गवाह बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। एजेंसी का मानना है कि पेंशन रुकना ही इस पूरे घोटाले का सबसे ठोस और प्रत्यक्ष प्रमाण है। यही वजह है कि अब पेंशनरों की गवाही पूरे केस की असली दिशा तय करेगी और पेंशन लूट की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।
ईडी ने जांच में पाया है कि जिन पेंशनरों की पेंशन महीनों तक रुकी, वही वह शुरुआती धागा था जिसने पूर्व जिला कोषाधिकारी सतीश कुमार द्वारा की गई हेराफेरी की परतें उधेड़ीं। पेंशन बंद होने की शिकायतें जब एक साथ बढ़ने लगीं तभी सिस्टम में छेड़छाड़ का शक मजबूत हुआ। ईडी की जांच में सामने आया कि ई-पेंशन पोर्टल में एक ही यूजर आइडी से बार-बार संशोधन किए जा रहे थे।
मृतक पेंशनरों की एंट्री से छेड़छाड़, बैंक अकाउंट अपडेट और भुगतान की तारीखों में अजीब बदलावों ने संदेह को गहरा किया। ईडी ने जब पेंशनरों की बैंक स्टेटमेंट को खंगाला तो यह सामने आया कि पेंशन की रकम रुकने के समय ही सतीश, उसकी पत्नी और बच्चों के खातों में छोटी-छोटी किस्तों में पैसा पहुंच रहा था। यह पूरा पैटर्न साइफनिंग माडल जैसा था। राशि सिस्टम से हटाई गई और कई चरणों में निजी खातों तक पहुंचाई गई।
इसलिए महत्वपूर्ण है पेंशनरों की गवाही
ईडी पेंशनरों को सिर्फ तकनीकी गवाह के रूप में नहीं, बल्कि प्रभावित पीड़ित के रूप में सामने लाएगी। पेंशनरों के बयान में शामिल होगा कि किस महीने पेंशन रुक गई। इससे इलाज, दवा और घरेलू खर्च पर क्या असर पड़ा। कितने महीनों तक भुगतान नहीं आया। बैंक और कोषागार से क्या जवाब मिला। इन बयानों से यह सिद्ध होगा कि यह घोटाला केवल सरकारी धन की चोरी नहीं, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों की जिंदगी से खिलवाड़ था। यह घोटाला अकेले एक अधिकारी के बूते नहीं हो सकता। ऐसे में इस घोटाले के तार कई लोगों तक पहुंच रहे हैं।
अब जांच इस दिशा में आगे बढ़ रही है कि किसने यूजर आइडी साझा की। डाटा एंट्री किसकी निगरानी में थी, सिस्टम अलर्ट क्यों नहीं चला, बैंक स्तर पर किसने नजरअंदाज किया, पेंशनरों के बयान इन सभी सवालों का सीधा जवाब बनेंगे और पूरी चेन की जिम्मेदारी तय करेंगे।
यह है मामला
ईडी ने पुलिस थाना नाहन में की गई एफआइआर के आधार पर तत्कालीन जिला कोषागार अधिकारी नाहन सतीश कुमार के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 1860 और भ्रष्टाचार अधिनयम 1988 की धाराओं के तहत जांच शुरू की है। ईडी की जांच में पता चला है कि सतीश कुमार ने डीटीओ नाहन (2012-2018) के पद पर रहते हुए ई-पेंशन साफ्टवेयर में हेरफेर कर पेंशन फंड को अपने, पत्नी व बच्चों के नाम पर कई बैंक खातों में स्थानांतरित किया। 95 पेंशनधारकों के 1,68,66,371 रुपये गायब किए गए।
ईडी इसकी जांच कर रही है। 24 नवंबर को ईडी ने सतीश कुमार की 1.84 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। यह संपत्ति करीब 200 वर्ग गज क्षेत्रफल के आवासीय भूखंड सहित निर्मित है, जो सनी एन्क्लेव, खरड़, जिला एसएएस नगर (मोहाली) पंजाब में स्थित है।

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