Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल: निर्वाचन आयोग पर भी डिजास्टर एक्ट लागू होगा, CM का सदन में एलान; बोले- 6 माह के भीतर चुनाव करवाने का प्रविधान

    By Anil Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 07:02 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में घोषणा की कि पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव आपदा प्रबंधन कानून हटने के बाद ही होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भी अब आपदा प्रबंधन कानून के दायरे में आएगा। 

    Hero Image

    हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बात रखते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सरकार व विपक्ष के बीच चल रही खींचतान समाप्त हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को सदन में एलान किया कि हिमाचल में पंचायत व शहरी निकायों के चुनाव आपदा प्रबंधन कानून हटने के बाद ही होंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्यमंत्री ने विधानसभा में एलान किया कि आज के बाद राज्य निर्वाचन आयोग भी आपदा प्रबंधन कानून के दायरे में आएगा। इस पर भी पर भी सारे नियम व निर्देश लागू होंगे।

    विधानसभा में नियम-67 के तहत हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने ये बात कही। इस बीच, विपक्ष के वाकआउट के बीच स्थगन प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार किया गया।

    हिमाचल में 2005 का आपदा प्रबंधन कानून लागू

    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 2005 का आपदा प्रबंधन कानून लागू है। उन्होंने कहा कि प्रदेश 2023 में आपदा से जूझता रहा है, लेकिन इस साल हालात पहले से भी ज्यादा गंभीर थे। सरकार ने जून महीने में नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया शुरू की थी। इसी के मद्देनजर उपायुक्तों को निर्देश भी दिए गए। लेकिन इसके बाद प्राकृतिक आपदा के चलते सरकार को आपदा प्रबंधन कानून लागू करना पड़ा। 

    स्थगित नहीं किए चुनाव

    मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन लागू होने की वजह से चुनाव में थोड़ी देर को रोक लगाई गई है, लेकिन इसे स्थगित नहीं किया गया है। राज्य में जब तक डिजास्टर एक्ट लागू रहेगा, चुनाव आयोग की शक्तियां कम अवश्य होंगी।

    पंचायत चुनाव का विधानसभा चुनाव पर नहीं कोई असर

    नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा उठाए गए मुद्दे पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला नगर निगम के चुनाव भाजपा सरकार के वक्त टाले गए। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं का विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन जयराम सरकार ने नगर निगम चुनाव को सिर्फ इसलिए टाला, क्योंकि उसी साल विधानसभा चुनाव होने थे।

    विपक्ष ने किया वाकआउट 

    मुख्यमंत्री द्वारा स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा के उत्तर के बाद विपक्षी भाजपा ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन में व्यवस्था दी कि अगर विपक्ष मुख्यमंत्री के उत्तर से संतुष्ट है तो वह स्थगन प्रस्ताव को वापस ले सकता है अन्यथा वह इसे मतदान हेतू सदन में प्रस्तुत करेंगे। इस बीच, विपक्ष के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए और स्थगन प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार किया गया।

    छह माह के भीतर चुनाव करवाने का प्रविधान

    मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता की सेवा के लिए आए हैं और मैं सिर्फ आज के बारे में सोचता हूं। जीवन में जिस भी पद पर रहा, वहां लंबे समय तक काम किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं की अवधि खत्म होने के 6 माह के भीतर करवाए जाने का प्रविधान है। लिहाजा सरकार नियमों के तहत ही चुनाव करवाएगी।

    जनता के आशीर्वाद से बने हैं सत्ता में 

    मुख्यमंत्री ने कहा कि उप चुनाव में हमारे काम की समीक्षा करते हुए  जनता ने हमें आशीर्वाद दिया। नेता विपक्ष कह रहे हैं कि इस सरकार को भगवान भी नहीं बचा सकता, मगर हम जनता के आशीर्वाद से सत्ता में बने हुए हैं।

    मैं आपकी सरकार को दुआ नहीं दे सकता और आपको बद्दुआ भी नहीं दे सकता : जयराम ठाकुर 

    नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि मैं सदन में विपक्ष का नेता हूं। मैं आपकी सरकार को दुआ नहीं दे सकता और आपको बद्दुआ भी नहीं दे सकता, लेकिन यह कैसे कह दूं कि दो साल बाद प्रदेश में आपकी सरकार आए। जयराम ठाकुर सदन में स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान नोकझोंक पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सदन में मैंने कभी भी फैसले रद करने की बात नहीं कही है, फैसलों की समीक्षा करने की बात अवश्य कही थी। असत्य बोलना कांग्रेस सरकार की आदत बन गई है।

    कोर्ट के निर्देश पर की थी प्रशासक की नियुक्ति 

    जयराम ठाकुर ने कहा कि शिमला नगर निगम के चुनाव टालने को लेकर सरकार सदन में गलत जानकारी दे रही है। हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद नगर निगम में परिसीमन कार्य को लेकर विलम्ब हुआ। सरकार ने व्यक्तिगत तौर पर इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट पहुंची कांग्रेस पार्षद से याचिका वापस लेने का भी आग्रह किया था। मगर याचिका वापस नहीं ली गई। लिहाजा अदालत के निर्देशों के बाद सरकार ने नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति की। इसके कुछ वक्त बाद ही विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो गई। नतीजतन 2022 में शिमला नगर निगम चुनाव में देरी हुई। 

    ओपीएस पर गलत जानकारी परोसी जा रही

    जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन में ओपीएस को लेकर उन्होंने कभी भी कुछ नहीं कहा, मगर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस बारे गलत जानकारी परोसी जा रही है। ओपीएस को लेकर परोसी जा रही इस गलत जानकारी पर जयराम ठाकुर ने सवाल खड़े किए।  उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार डिजास्टर की बात कह रही है मगर वास्तव में डिजास्टर के तहत प्रदेश में कोई काम नहीं हो रहा है।

    यह भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा: नेगी की टिप्पणी से आग बबूला हुए जयराम, 'खाल में रहें, भूमि सौदों से पर्दे उठेंगे' ...इन्हें सहने की मजबूरी नहीं 

    पंचायत चुनाव पर खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये: अनिरुद्ध सिंह 

    पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि हिमाचल में पंचायती राज चुनावों पर 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। चुनाव को करवाने के लिए 45 हजार से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। 10 हजार से ज्यादा पुलिस और होमगार्ड जवानों की भी जरूरत पड़ती है।


    यह भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा: नेगी की टिप्पणी से आग बबूला हुए जयराम, 'खाल में रहें, भूमि सौदों से पर्दे उठेंगे' ...इन्हें सहने की मजबूरी नहीं