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    हिमाचल में पंचायत सीमा बदलाव रोकने पर विवाद, सुक्खू सरकार ने नियमों के विपरीत बताया चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 08:52 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में पंचायत सीमाओं में बदलाव को रोकने के चुनाव आयोग के फैसले पर विवाद हो गया है। सुक्खू सरकार ने इस नोटिफिकेशन को नियमों के खिलाफ बताया है, जिससे पंचायत चुनावों पर असर पड़ने की आशंका है। सरकार ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है, जबकि चुनाव आयोग ने अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

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    हिमाचल सीएम सीएम सुक्खू और निर्वाचन आयोग के आयुक्त अनिल खाची

    जागरण संवाददाता,शिमला। हिमाचल में राज्य चुनाव आयोग की ओर से पंचायतों की सीमाओं, संरचना और वर्गीकरण में बदलाव पर रोक लगाने पर विवाद हो गया है।

    पंचायती राज विभाग ने राज्य चुनाव आयोग की 17 नवंबर को जारी अधिसूचना को प्रक्रियागत रूप से त्रुटिपूर्ण बताकर इसे वापस लेने की मांग की है। सरकार का कहना है कि चुनाव कार्यक्रम घोषित किए बिना आचार संहिता लागू करना स्थापित परंपराओं और संवैधानिक प्रविधानों के अनुरूप नहीं है।

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    बुधवार को जारी पत्र में विभाग ने स्पष्ट किया कि पंचायतों की सीमाएं बदलने का अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है। चुनाव आयोग का इस पर रोक लगाना विधिक रूप से उचित नहीं माना जा सकता। यदि पहली जनवरी, 2026 से पहले सीमांकन कार्य पूरा नहीं हुआ तो हजारों लोगों की आकांक्षाएं अगले जनगणना चक्र तक लटकी रहेंगी।

    17 नवंबर को जारी की थी अधिसूचना

    राज्य चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को अधिसूचना जारी कर आदर्श आचार संहिता की धारा 12.1 लागू कर दी थी। इसमें स्पष्ट कहा है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी पंचायत की सीमा, संरचना या वर्गीकरण में बदलाव नहीं किया जाएगा। सरकार का कहना है कि सामान्यत: यह रोक चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद लागू होती है, लेकिन इस बार आयोग ने पूर्व घोषणा में ही कड़ा प्रतिबंध लगा दिया।

    पत्र में स्पष्ट किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 243-सी(1) राज्य विधानमंडल को पंचायतों की संरचना तय करने का अधिकार देता है। इसी आधार पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 1994 में पंचायती राज अधिनियम पारित किया था।

    सरकार ने चुनाव आयोग को ये दिए तर्क

    सरकार ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 लागू है। प्रदेश के कई इलाकों में वर्षा, भूस्खलन और सड़कें बंद होने की स्थिति के चलते सामान्य स्थिति और संपूर्ण कनेक्टिविटी अभी पूरी तरह स्थापित नहीं हुई है। जब तक आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रतिबंध हट नहीं जाते तब तक पंचायत चुनाव की घोषणा करना संभव नहीं।

    प्रदेश सरकार के अनुसार, रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त भारत की ओर से भेजे डीओ पत्र के अनुसार स्थानीय निकायों की सीमाएं पहली जनवरी 2026 से फ्रीज हो जाएंगी। यानी पहली जनवरी के बाद कोई भी पंचायत, नगर निकाय या स्थानीय निकाय की सीमाएं बदली नहीं जा सकेंगी। यह स्थिति अगले जनगणना चक्र की अधिसूचना तक बनी रहेगी।

    यदि अभी सीमांकन कार्य रोका तो हजारों लोगों के क्षेत्र पुनर्गठन, नयी पंचायतों की मांग, वर्गीकरण परिवर्तनों जैसी तमाम प्रक्रियाएं वर्षों के लिए रुक जाएंगी।