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    Himachal News: पंचायतों में लगे तकनीकी सहायकों को देना होगा न्यूनतम वेतन, हाईकोर्ट ने की सरकार की अपील खारिज

    Updated: Wed, 07 Aug 2024 01:44 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने पंचायतों में लगे तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतनमान देने और उन्हें प्रदेश सरकार की नीति के तहत नियमित करने के आदेशों को चुनौती देने में हुई देरी को माफ करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने न्यूनतम वेतन देने का आदेश दिया और नियमितीकरण नीति का लाभ देने को कहा।

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    हिमाचल प्रदेश: पंचायतों में लगे तकनीकी सहायकों को देना होगा न्यूनतम वेतन- हाईकोर्ट

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पंचायतों में लगे तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतनमान देने और उन्हें प्रदेश सरकार की नीति के तहत नियमित करने के आदेश को चुनौती देने में हुई देरी को माफ करने से इनकार कर दिया है। परिणामस्वरूप सरकार की अपील भी खारिज हो गई है।

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    मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले पर सवाल उठाना सरकार का अधिकार है, परंतु उसे फैसले की प्रति हासिल करने के बाद निर्धारित 30 दिन की अवधि के भीतर अपील दायर करने के लिए कदम उठाने चाहिए थे।

    न्यूनतम वेतन देने और नियमित करने के आदेश किए जारी

    प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण देरी की दलील पर सरकार को देर से अपील दायर करने की अनुमति नहीं दी सकती। 25 सितंबर, 2023 को एकल पीठ ने तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतन देने और नियमित करने का आदेश जारी किया था। सरकार ने एक मामले में इस फैसले को 213 दिन की देरी को माफ करने के आवेदन के साथ खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।

    पंचायती राज विभाग के अनुसार यह मामला पहली नवंबर, 2023 को कानून विभाग के समक्ष उठाया गया था कि क्या एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए या नहीं।

    कानून विभाग ने तीन जनवरी, 2024 को राय दी थी कि एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद वित्त विभाग ने कार्मिक विभाग से परामर्श किया। कार्मिक विभाग ने फैसले को चुनौती देने की सलाह दी और मामला 18 जून, 2024 को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा गया। 

    'साल 2005 में केंद्र सरकार ने बनाया था मनरेगा'

    मंत्रिमंडल ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का निर्णय लिया। इसके बाद हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी। तकनीकी सहायकों की ओर से दायर याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) बनाया था।

    इसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से कम से कम 100 दिन का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध कराना था। प्रदेश सरकार ने सात अप्रैल, 2008 को ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी सहायको को नियुक्त करने के लिए अधिसूचना जारी की।

    2019 में तकनीकी सहायक के 1081 पद किए स्वीकृत

    सरकार ने इनके लिए वेतन निर्धारण के नियम भी बनाए। नियमित तकनीकी सहायक को 10300-34800 और 3000 रुपये का ग्रेड पे एवं अनुबंध सहायकों को 5910 और सिर्फ 3000 रुपये के ग्रेड पे का प्रविधान किया गया था। सरकार ने 23 जुलाई, 2019 को तकनीकी सहायक के 1081 पद स्वीकृत करने का निर्णय लिया और वर्ष 2020 में 115 खाली पद भरने की प्रक्रिया शुरू की गई। याचिकाकर्ताओं को इस चयन प्रक्रिया में अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया था।

    17 दिसंबर को दिया वेतन करने का आदेश जारी

    उनके नियुक्ति पत्र में भी उन्हें 8910 रुपये मासिक दिए जाने का निर्णय लिया गया था, परंतु विभाग ने 17 दिसंबर, 2021 को उन्हें कमीशन आधार पर वेतन देने का आदेश जारी किया।

    इस आदेश को प्रार्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। एकल पीठ ने विभाग की ओर से जारी 17 दिसंबर, 2021 के कमीशन आधार पर वेतन देने के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन देने का आदेश दिया और नियमितीकरण नीति का लाभ देने को कहा।

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