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    Himachal News: शिक्षकों के तबादले रोकने के लिए क्या उपाय किए? डायेरक्टर ने साधी चुप्पी, अब हाई कोर्ट ने लिया ये एक्शन

    Updated: Thu, 16 May 2024 09:14 AM (IST)

    Himachal News हिमाचल हाई कोर्ट ने कहा कि उच्च शिक्षा निदेशक के ऊपर अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा। दरअसल कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक से पूछा था कि बाहरी ताकतों के दबाव में आकर शिक्षकों के तबादले रोकने के लिए क्या उपाय किए हैं लेकिन इस संबंध में वह कोई सफाई नहीं दे पाए। जिसके बाद अदालत ने कार्रवाई के आदेश दिए।

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    Himachal News: शिक्षकों के तबादले रोकने के लिए क्या उपाय किए?

    विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh News: प्रदेश हाई कोर्ट में उच्च शिक्षा निदेशक पर अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा। कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक से पूछा था कि बाहरी ताकतों के दबाव में आकर शिक्षकों के तबादले रोकने के लिए क्या उपाय किए हैं लेकिन वह कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाए।

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    कोर्ट ने इनके आचरण को जानबूझ कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानते हुए न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप पाया। कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।

    बाहरी ताकतों के दबाव में तबादले न किए जाए

    न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने कहा कि जब कोर्ट ने 20 जुलाई 2021 को पारित आदेश के तहत यह स्पष्ट किया था कि बाहरी ताकतों के दबाव में आकर कर्मचारियों के तबादले न किए जाएं, अन्यथा कानून का राज समाप्त होने में देर नहीं लगेगी, तो ऐसे तबादले रोकने के लिए क्या किया गया।

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    उच्च शिक्षा निदेशक इस पर स्पष्टीकरण देने में विफल रहे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने 20 जुलाई 2021 को कहा था कि कर्मचारियों के तबादला आदेश उन लोगों की सिफारिश से हो रहे हैं, जिनका सरकार के प्रशासनिक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं है।

    तबादला आदेश से भय उत्पन्न होता है

    न्यायालय ने कहा कि तबादला होना किसी कर्मचारी के लिए जरूरी घटना है मगर यह आदेश तय सिद्धांतों या दिशानिर्देशों के अनुरूप ही होने चाहिए। कर्मचारियों के तबादला आदेश से उनमें भय उत्पन्न होता है जिससे स्वच्छ प्रशासनिक कार्य मे बाधा उत्पन्न होती है।

    कोर्ट ने सरकार को बाहरी ताकतों के दबाव में कर्मचारियों के तबादले न करने की सलाह भी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के तबादलों को मंजूरी देने का मतलब कानून के राज के साथ समझौता करना है।

    यह सरकार का परम कर्तव्य है कि वह अपने कर्मियों के हितों की रक्षा करे। कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया था कि तबादला नीति को हल्के में न लें।

    कर्मचारी अधिकारी के तौर पर तबादले की मांग कर सकता है

    कोर्ट ने सुझाव दिया था कि कर्नाटक की तर्ज पर तबादला नीति में अतिरिक्त प्रविधान जोड़ने की जरूरत है, जहां पर कर्मचारी अधिकार के तौर पर तबादला करने की न तो मांग कर सकता है और न ही राजनीतिक दबाव के चलते किसी के तबादला आदेश जारी किए जा सकते हैं।

    कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय व अन्य हाईकोर्ट के निर्णयों का उल्लेख कर कहा था कि विधायक, सांसद या मंत्री के पास किसी कर्मचारी की शिकायत पाए जाने पर तबादला करने की सिफारिश करने का अधिकार तो है मगर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार केवल प्रशासनिक विभाग के पास ही है।

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