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    हिमाचल में कुदरत का कहर जारी: 57 अभी भी लापता, मंडी में 16 की मौत; तबाही का मंजर याद कर सहम उठे लोग

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 10:25 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से नुकसान लगातार जारी है। मंडी जिले में बादल फटने से 16 लोगों की जान गई है और 57 लापता हैं। शिमला में फोरलेन का डंगा गिरने से पांच भवनों को खतरा है। चंबा में मकान ध्वस्त होने से एक की मौत हो गई। मौसम विभाग ने छह जिलों में भारी वर्षा की संभावना जताई है।

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    हिमाचल में बादल फटने से भारी तबाही। फोटो जागरण

    जागरण टीम, शिमला/मंडी। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से नुकसान थम नहीं रहा। मंडी जिले में 30 जून आधी रात को बादल फटने से आई बाढ़ में बहे एक और व्यक्ति का शव सराज के केलटी में मिला। आपदा से जिले में अब तक 16 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 57 लापता हैं।

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    गुरुवार को शिमला के ढली के समीप फोरलेन का डंगा गिर गया। इससे पांच भवनों को खतरा हो गया है। चार दिन पहले ही डंगे का एक हिस्सा गिरा था।

    चंबा उपमंडल के जडेरा में बुधवार रात भारी वर्षा के कारण शेडनुमा मकान ध्वस्त होने से दो लोग दब गए। एक की मौके पर ही मौत हो गई, दूसरा घायल है। जंजैहली के होटल क्लब महेंद्रा में ठहरे सभी 60 पर्यटक सुरक्षित हैं। पुलिस का इनसे संपर्क हो चुका है।

    गोहर उपमंडल के स्यांज से लापता सात लोगों की तलाश के लिए प्रशासन ड्रोन की मदद लेगा। राज्य सूचना आयुक्त एसएस गुलेरिया ने स्याठी गांव के प्रभावितों को एक लाख रुपये देने की घोषणा की है।

    कल छह जिलों में भारी बारिश

    मंडी, कुल्लू और शिमला जिले में बादल फटने को जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बताया जा रहा है। आपदा प्रबंधन के निदेशक डीसी राणा ने जानकारी दी कि अभी तक 400 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है। सबसे बड़ी प्राथमिकता राहत और बचाव है।

    आज छह जिलों में भारी वर्षा की संभावनामौसम विभाग ने चार जुलाई को छह जिलों में भारी वर्षा के साथ बाढ़ की संभावना जताई है। छह, सात व आठ जुलाई को कांगड़ा, मंडी हमीरपुर, बिलासपुर अैर ऊना में बहुत भारी वर्षा की चेतावनी दी है। 10 जुलाई तक कुछ स्थानों पर भारी वर्षा का अनुमान है। प्रदेश में भूस्खलन से अभी तक 246 सड़कें बंद हैं।

    अचानक तेज गर्जना हुई, लगा जैसे आसमान फट गया

    रात को अचानक तेज गर्जना हुई, ऐसे लगा जैसे आसमान फट गया। तेज वर्षा के साथ भयंकर आवाजें आ रही थीं। हम समझ गईं कि कोई बहुत बड़ी आपदा आ गई है। मोबाइल फोन की रोशनी से कमरे-कमरे में जाकर सहपाठियों को जगाया।

    यह कहना था बागबानी एवं वानिकी महाविद्यालय थुनाग की छात्रा बिलासपुर निवासी अंकिता व कांगड़ा जिले के जयसिंहपुर की रहने वाली अनीशा का। अंकिता व अनीशा के मुताबिक खिड़की से झांककर देखा तो उनके कमरे से कुछ ही दूरी पर स्थित घर और पशुशालाएं ध्वस्त हो गई थीं।

    पानी और मलबे की तेज धारा तेजी से बह रही थी। तुरंत कमरों में जाकर एक-एक सहपाठी को जगाया। नींद में थे सब, अगर दो मिनट और देर होती तो शायद हममें से कोई भी नहीं बचता। आपबीती सुनाते हुए अनीशा की आंखें भर आती हैं।

    आपदा में भी अडिग एक अंगुली से हिलने वाली पांडव शिला

    ब्यास नदी 2023 में मंडी शहर में स्थित पंचवक्त्र महादेव का जलाभिषेक कर गई थी। इस बार भी ब्यास का पानी पंचवक्त्र महादेव मंदिर की परिक्रमा कर गया, लेकिन मंदिर परिसर या मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसी तरह सराज घाटी में 30 जून की रात को बादल फटने, नदियों के उफान पर आने से हर ओर तबाही का मंजर है।

    इन्हीं भयावह हालात में जंजैहली के कुथाह स्थित पौराणिक पांडव शिला जो एक अंगुली से हिल जाती थी अपने स्थान पर अडिग है। यह पांडव शिला महाभारतकालीन बताई जाती है।

    इस शिला की विशेषता यह है कि लोग इसे एक अंगुली से हिला सकते हैं, लेकिन अगर कोई जोर लगाकर दोनों हाथों से भी हिलाना चाहे तो यह टस से मस नहीं होती। शिला की अवस्थिति ऐसी है कि यह हटाए नहीं हटती किंतु आस्थावानों के लिए यह चमत्कार है।

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