हिमाचल में चेक बाउंस मामले में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- किसी भी तरह की छेड़छाड़ उसकी वैल्यू जीरो कर देती है
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में कहा कि चेक से छेड़छाड़ होने पर यह शून्य हो जाता है इसलिए मालिक पर आपराधिक मामला नहीं बनता। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने राजिंदर शर्मा की याचिका स्वीकार करते हुए बैंक की शिकायत खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि छेड़छाड़ से चेक का कानूनी स्वरूप बदल जाता है और इसे साबित करने का भार शिकायतकर्ता पर होता है।

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया है कि चेक के साथ की गई छेड़छाड़ उसे शून्य कर देती है, इसलिए चेक मालिक के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं बनता।
न्यायाधीश राकेश कैंथला ने राजिंदर शर्मा की याचिका को स्वीकारते हुए बघाट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की शिकायत को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि चेक से की गई छेड़छाड़ अथवा बदलाव उसके कानूनी स्वरूप को बदल देता है।
कोर्ट ने व्यवस्था दी कि यदि यह दलील दी जाती है कि चेक में परिवर्तन चेक मालिक ने ही किया है तो यह साबित करने का भार शिकायतकर्ता पर आ जाता है। और इस कारण यदि चेक ही शून्य हो जाए तो भले ही देनदारी साबित हो, चेक बाउंस का आपराधिक मामला नहीं बनता।
कोर्ट ने दोनों निचली अदालतों के फैसलों को निरस्त करते हुए आरोपी को बरी कर दिया। मामले के अनुसार शिकायतकर्ता, बघाट अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने आरोपी राजिंदर शर्मा के खिलाफ चेक बाउंस की शिकायत दर्ज कराई थी। यह दावा किया गया था कि शिकायतकर्ता बैंकिंग गतिविधियों में संलग्न है। आरोपी ने 10.1.2015 के आवेदन के माध्यम से ऋण लेने के लिए शिकायतकर्ता से संपर्क किया। शिकायतकर्ता ने आरोपी को ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की।
आरोपी, पक्षों के बीच सहमत नियमों और शर्तों के अनुसार राशि का भुगतान करने में विफल रहा। शिकायतकर्ता ने आरोपी से राशि वापस करने का अनुरोध किया, और उसने राशि वापस करने के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक, सोलन शाखा के नाम से ₹7.00 लाख का चेक जारी किया।
शिकायतकर्ता ने चेक अपने बैंक को प्रस्तुत किया, लेकिन यह ''''अपर्याप्त निधि'''' के साथ अनादरित हो गया। शिकायतकर्ता ने एक कानूनी नोटिस जारी किया जिसमें आरोपी को नोटिस प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर राशि वापस करने का निर्देश दिया गया।
आरोपी का कहना था कि शिकायतकर्ता बैंक ने उससे पाँच चेक ज़मानत के तौर पर लिए थे। उसने ₹6.00 लाख जमा किए थे, लेकिन शिकायतकर्ता ने उसके द्वारा जारी किए गए चेकों का दुरुपयोग किया गया। चेक के साथ छेड़छाड़ की गई थी। चेक खाता संख्या CD-5956 की देनदारी के लिए जारी किया गया था, लेकिन CD-5956 को काटकर CD-6033 से बदल दिया गया। बैंक अधिकारी ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया था।
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