हिमाचल हाईकोर्ट से ट्रेनी नर्सों को राहत, दाखिले नियमित करने के निर्देश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग संस्थानों में नियमों के विरुद्ध दाखिला पाने वाली प्रशिक्षु नर्सों को राहत दी है। कोर्ट ने प्रशिक्षु नर्सों के दाखिले नियमित करने को कहा है जिन्हें अटल चिकित्सा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक ने मान्यता देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने नर्सिंग संस्थानों पर 50 हजार रुपये का कॉस्ट भी लगाया है जिसे आपदा राहत निधि में जमा करवाना होगा।

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के विभिन्न नर्सिंग संस्थानों में नियमों के विरुद्ध दाखिला पाने वाली प्रशिक्षु नर्सों को राहत दी है। कोर्ट ने प्रशिक्षु नर्सों के दाखिले नियमित करने को कहा है जिन्हें अटल चिकित्सा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक (मंडी) ने मान्यता देने से इनकार कर दिया था।
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने विभिन्न याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि यह न्याय के हित में होगा, यदि एक बार के उपाय के रूप में प्रतिवादी-विश्वविद्यालय प्रशिक्षुओं के प्रवेश को नियमित करे। कोर्ट ने शर्त लगाई है कि नर्सिंग संस्थानों को इसकी एवज में 50 हजार रुपये प्रति संस्थान कॉस्ट का भुगतान करना होगा जिसे मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत निधि में तीन सप्ताह के भीतर जमा करवाना होगा।
कोर्ट ने मॉडर्न नर्सिंग कॉलेज अनाडेल (शिमला), शिमला वैली नर्सिंग कॉलेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग हरी देवी घणाहट्टी और संपत्ति देवी मेमोरियल नर्सिंग कॉलेज मंडी पर यह कॉस्ट लगाई है। कोर्ट ने आदेश में कहा, नर्सिंग संस्थानों को भविष्य में ऐसे किसी भी प्रवेश से बचना चाहिए जो प्रॉस्पेक्टस का उल्लंघन करते हैं।
कोर्ट ने विश्वविद्यालय को सलाह दी कि इस तथ्य के मद्देनजर कि राज्य के विभिन्न नर्सिंग संस्थानों में हर साल ऐसे प्रवेश होते हैं, संबंधित विश्वविद्यालय को प्रवेश बंद होने के कम से कम एक महीने बाद संस्थानों द्वारा किए सभी प्रवेश की जांच करनी चाहिए ताकि अवैध या अनियमित दाखिलों पर ध्यान दिया जा सके और कानून के अनुसार उनसे निपटा जा सके।
कुछ प्रशिक्षु नर्सों ने प्रतिवादी-विश्वविद्यालय को निर्देश जारी करने की मांग की थी कि वे बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रमों में अपना प्रवेश नियमित करें, जो वे संबंधित प्रतिवादी-नर्सिंग संस्थानों में कर रहे हैं। विश्वविद्यालय का कहना था कि प्रास्पेक्ट्स की शर्त के अनुसार विश्वविद्यालय ने उन छात्राओं को संबंधित नर्सिंग संस्थानों के लिए स्पांसर नहीं किया था।
कोर्ट ने इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कहा कि मुख्य रूप से यह प्रशिक्षु नर्सों का करियर है जो दांव पर है। चूंकि यह विवाद का विषय नहीं है कि कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने वास्तव में उस प्रक्रिया में भाग लिया था जो प्रतिवादी-विश्वविद्यालय द्वारा नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए शुरू की गई थी अर्थात उन्होंने लिखित परीक्षा में भाग लिया था और उसमें सफल रहे थे। इसलिए कोर्ट ने कहा कि एकमुश्त मौका देते हुए न्याय की दृष्टि से इनके दाखिले को नियमित करना सही रहेगा।
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