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    हिमाचल हाई कोर्ट के राज्य सरकार को सख्त आदेश, TGT टीचर्स को 7 अक्टूबर से पहले करें प्रमोट

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 12:15 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों (टीजीटी) को 7 अक्टूबर से पहले पदोन्नत करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनसे कनिष्ठ लोगों को पदोन्नत किया जा रहा है जबकि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई।

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    हिमाचल हाई कोर्ट के राज्य सरकार को सख्त आदेश

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पात्र प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (टीजीटी) को सात अक्टूबर से पहले पदोन्नत करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने अवमानना याचिका की सुनवाई के पश्चात कहा, याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति आदेश तय तिथि से जारी किए जाएं।

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    कोर्ट ने शिक्षा विभाग को कहा, प्रार्थियों को पदोन्नति आदेश जारी न करने के किसी भी बहाने पर विचार नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनसे कनिष्ठ 600 लोगों को स्कूल प्रवक्ता के पद पर पदोन्नत किया जा रहा है लेकिन न्यायालय को दिए आश्वासन के बावजूद उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई।

    प्रार्थियों का कहना था कि उनके द्वारा दायर रिट याचिका का 10 सितंबर 2024 को इस टिप्पणी के साथ निपटारा किया गया था कि टीजीटी से पीजीटी की वरिष्ठता सूची में आवश्यक संशोधन किए जाएं। उसके बाद कानून के अनुसार संशोधित वरिष्ठता सूची तैयार की जाए।

    आवश्यक कार्य यथाशीघ्र और अधिमानतः आठ सप्ताह की अवधि के भीतर करने को कहा था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने 23 अगस्त 2025 को जारी कार्यालय आदेश के तहत उन्हें अनुबंधकाल की नियुक्ति से ही नियमित तो मान लिया, लेकिन इससे उपजे पदोन्नति लाभ नहीं दिए जा रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा।

    अब कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को अस्थायी वरिष्ठता सूची में शामिल कर लिया है। प्रार्थियों ने विभाग द्वारा उन्हें पदोन्नति लाभ न देने की बात कहते हुए कोर्ट को बताया कि अभी भी कोर्ट के आदेशों पर अक्षरशः अमल नहीं हुआ है।

    इस पर कोर्ट ने शिक्षा विभाग को सात अक्टूबर तक प्रार्थियों को नीयत तिथि से पदोन्नति आदेश जारी करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता उस समय अनुबंध आधार पर नियुक्त किए गए थे जब भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में अनुबंध आधार पर नियुक्ति देने का कोई प्रविधान नहीं था।

    हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को उनकी प्रारंभिक नियुक्ति/कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से ही सभी लाभ के साथ नियमित नियुक्ति का लाभ प्रदान करने के आदेश दिए थे।