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    'जेओए (IT) का परिणाम तत्काल घोषित किया जाए', हिमाचल हाईकोर्ट ने मंडी के सरदार पटेल विश्वविद्यालय को दिए आदेश

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 01:11 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी को जेओए (आईटी) भर्ती परीक्षा का परिणाम तुरंत घोषित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार की सुनवाई स्थगित करने की गुहार को अस्वीकार किया और कहा कि परिणाम घोषित करने के लिए सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। वहीं कोर्ट ने ग्राम पंचायत मैहला की प्रधान की बर्खास्तगी पर भी रोक लगा दी है।

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    मंडी विवि में जेओए (आईटी)के 25 पदों को ली परीक्षा का परिणाम तत्काल करें घोषित: हाईकोर्ट (File Photo)

    जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी को जेओए (आईटी) के 25 पदों के लिए ली गई भर्ती परीक्षा का परिणाम तत्काल घोषित करने के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय ने 7 सितंबर 2022 के विज्ञापन के अनुसार इन पदों को भरने के लिए परीक्षा का आयोजन किया था।

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    न्यायाधीश संदीप शर्मा ने निर्मला देवी व अन्यों द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए। सरकार ने इस मामले में सुनवाई स्थगित करने की गुहार लगाई थी जिसे अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि विचाराधीन परीक्षा सरदार पटेल विश्वविद्यालय, मंडी द्वारा आयोजित की गई थी, जो एक स्वायत्त निकाय है।

    इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार को 16 पत्र जारी किए गए थे, जिनमें परिणाम घोषित करने की अनुमति मांगी गई थी। इसलिए अदालत को ऐसा कोई कारण नहीं लगता जिसके अनुसार राज्य सरकार को अतिरिक्त समय दिया जाए।

    कोर्ट ने क्या कहा?

    कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब जेओए(आईटी) के पदों को भरने के लिए परीक्षा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की गई थी तो एक स्वायत्त निकाय होने के नाते, विश्वविद्यालय के लिए परिणाम घोषित करने के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं थी।

    इस मामले में विज्ञापन 07.09.2022 को जारी किया गया था और उसके बाद 20.10.2022 को परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 7640 उम्मीदवारों (पुरुष और महिला दोनों) ने आवेदन किया था। प्रतिवादी विश्वविद्यालय का कहना था कि परिणाम तैयार है और इसे घोषित किया जा सकता है। हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिनांक 26.12.2022 के पत्र द्वारा इसकी घोषणा स्थगित की गई थी।

    प्रार्थियों का कहना था कि हजारों उम्मीदवार, जिन्होंने विचाराधीन पद के लिए आवेदन किया था, अपने परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। परीक्षा समाप्त होने के बाद तीन वर्ष से अधिक समय बीतने की संभावना है, लेकिन आज तक, बिना किस ठोस कारण के, परिणाम घोषित नहीं किया जा रहा है।

    ग्राम पंचायत मैहला का प्रधान की बर्खास्तगी पर रोक

    वहीं, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्राम पंचायत मैहला जिला चंबा की प्रधान राधा देवी के बर्खास्तगी आदेशों पर रोक लगा दी है। जिला पंचायत अधिकारी चंबा ने 8 सितंबर को सरकारी धन और सरकारी योजनाओं का गलत तरीके से पैसा हड़पने के आरोपों के बाद महिला प्रधान को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी राधा देवी की याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए।

    कोर्ट को बताया गया था कि पंचायत अधिकारी चंबा द्वारा पारित निलंबन आदेश कानून की दृष्टि में गलत है। क्योंकि इसे हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1968 की धारा 145 (2-ए) के प्रावधानों का उल्लंघन करके पारित किया गया है। याचिकाकर्ता को विवादित आदेश पारित करने से पहले सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया।

    कहा गया था कि चूंकि इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन किया गया है और न केवल प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का, बल्कि अधिनियम की धारा 145 की उपधारा 2-ए का भी उल्लंघन किया गया है, इसलिए विवादित आदेश गलत है। मामले के अनुसार प्रशासन ने 16 जुलाई 2025 को राधा देवी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

    आरोप है कि 12 अगस्त 2025 को प्रधान ने अपने जवाब में वित्तीय गड़बड़ियों के संबंध में कोई ठोस और संतोषजनक तर्क पेश नहीं किया। इसके बाद उपमंडल अधिकारी ने जांच रिपोर्ट जिला पंचायत अधिकारी चंबा को सौंपी।

    जिला चंबा प्रशासन ने 8 सितंबर को कारवाई करते हुए विकास खंड मेहला की ग्राम पंचायत मेहला की प्रधान राधा देवी को पद से बर्खास्त कर दिया। उपायुक्त चंबा के आदेशानुसार यह कार्रवाई कथित वित्तीय अनियमितताओं और सरकारी नियमों के उल्लंघन के चलते की गई। जिला पंचायत अधिकारी ने पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 145(1) और 142(1) के अंतर्गत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राधा देवी को प्रधान पद से तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। साथ ही आदेश में कहा गया कि यदि प्रधान के पास पंचायत से संबंधित कोई सरकारी संपत्ति हो तो उसे तुरंत पंचायत सचिव के सुपुर्द किया जाए।