Himachal News: वित्तीय लाभ में देरी, हिमाचल HC ने सरकार और HRTC से मांगा जवाब
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा कर्मचारियों को समय पर वित्तीय लाभ न देने पर सरकार और HRTC को दो दिन के भीतर हिदायतें पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने वित्तीय संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को अपनी नीतियों पर आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है विशेष रूप से सब्सिडी के संबंध में।

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार की आर्थिक हालत को आधार बनाकर समय पर कर्मचारियों के वित्तीय लाभ न देने पर सरकार और हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) को पिछले आदेश के तहत मांगी हिदायतें दो दिन के भीतर पेश करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा, वे इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं हैं कि पहले भी हाई कोर्ट को घाटे में चल रहे ऐसे कुछ संस्थानों (होटलों) को बंद करने के आदेश जारी करने पड़े थे। इसलिए यह सही समय है कि राज्य सरकार नीतियों का आत्मनिरीक्षण करे। विशेष रूप से सब्सिडी और सामान्य नीतियों के संबंध में चिंतन की आवश्यकता है।
कोर्ट ने हिदायत पेश न करने पर एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश भी दिए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अनुपालन याचिकाओं पर सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए।
कोर्ट ने पिछले आदेश में अदालती आदेश के बावजूद कर्मचारियों के वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मुद्दे पर सरकार के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि सरकार के वित्तीय संकट के कारण अदालत में अनुपालन याचिकाओं की बाढ़ आ गई है।
इस कारण सरकार के अधिकारियों को भी जवाबदेह होने के कारण परेशान होना पड़ता है। हाई कोर्ट कुछ समय से परिवहन निगम व विद्युत बोर्ड आदि कुछ एकाधिकार प्राप्त बोर्डों और निगमों के विरुद्ध दायर की जा रही अनुपालन याचिकाओं से न केवल भरा है, बल्कि इससे अटा पड़ा है।
इन सभी मामलों में अधिकारियों द्वारा अदालती आदेश के उल्लंघन के लिए लिया सामान्य आधार वित्तीय संकट है। खंडपीठ ने कहा था कि उन्हें वास्तव में आश्चर्य है कि ऐसे एकाधिकार प्राप्त निगम/बोर्ड घाटे में क्यों चले गए और उन्हें नुकसान क्यों उठाना पड़ा। कोर्ट ने कहा, सरकार बोर्डों और निगमों का पुनर्गठन करे ताकि वित्तीय संकट से निपटा जा सके।
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