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    हिमाचल में पेंशन और वेतन के लिए रुका है वेरिफेकशन, वित्त विभाग ने 2268 कर्मचारियों का मांगा ब्योरा

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 09:05 AM (IST)

    प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने सभी विभागों को 2268 कर्मचारियों का स्पष्ट विवरण भेजने का निर्देश दिया है। 15 मई 2003 से पहले नियुक्त कर्मचारियों का रिकॉर्ड अपूर्ण है जिससे सत्यापन कार्य रुका हुआ है। सही जानकारी न होने पर कर्मचारियों को पेंशन और अन्य सेवा संबंधी लाभों में दिक्कतें आ सकती हैं इसलिए सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए हैं।

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    2268 कार्मिकों का ब्योरा तलब, अपूर्ण रिकॉर्ड से सरकार भी परेशान (सीएम सुक्खू)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने एक बार फिर सभी विभागों को सख्त हिदायत दी है कि वे 2268 कार्मिकों का स्पष्ट व पूर्ण ब्योरा तुरंत भेजें।

    15 मई 2003 से पहले विज्ञापित पदों पर नियुक्त इन कर्मचारियों का रिकॉर्ड न सिर्फ अपूर्ण है बल्कि कई जगहों पर अस्पष्ट भी मिला है। यही वजह है कि विभाग का सत्यापन कार्य अधर में लटका हुआ है।

    वित्त विभाग के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से विभागीय सचिवों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि निर्धारित फॉर्मेट में ही विवरण भरकर भेजें।

    इसमें प्रान नंबर, नियुक्ति तिथि, पदनाम, कार्यरत कार्यालय, सेवा पुस्तिका नंबर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां स्पष्ट रूप से दर्ज करना अनिवार्य किया गया है।

    विभागवार स्थिति में सबसे अधिक अपूर्ण रिकॉर्ड शिक्षा विभाग से संबंधित है, जहां बड़ी संख्या में टीचिंग व नान-टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियां इस श्रेणी में आती हैं।

    इसके अलावा लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग और पंचायत विभाग से जुड़े कर्मचारियों का ब्योरा भी अधूरा पाया गया है। कई विभागों ने सिर्फ आंशिक डेटा भेजा है, जिससे सत्यापन प्रक्रिया ठप पड़ी है।

    बैठक में उठा मुद्दा

    22 अगस्त को वित्त, कोषागार एवं लाटरीज और महालेखाकार विभाग के अधिकारियों की बैठक में इस मामले पर गंभीर चिंता जताई गई थी।

    अधिकारियों ने माना कि यदि यह स्थिति बनी रही तो भविष्य में इन कर्मचारियों को पेंशन, नियमितीकरण, सेवा सत्यापन और पदोन्नति जैसे मामलों में दिक्कतें आ सकती हैं।

    सरकार की चिंता

    सरकार का कहना है कि जब तक सही रिकॉर्ड नहीं मिलता, तब तक कर्मचारियों की सेवा संबंधी किसी भी दावे का निपटारा करना मुश्किल होगा।

    यही वजह है कि विभाग ने दूसरी बार स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। यदि तय समय सीमा में विवरण नहीं भेजा गया तो संबंधित विभागों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।

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