हिमाचल में कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने के आदेश को क्यों चुनौती दे रही सरकार? हाई कोर्ट ने सितंबर में दिया था ऑर्डर
हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों के कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का मामला फिलहाल लटक गया है। सरकार हाईकोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती देगी, क्योंकि विधि विभाग ने भी इसकी सहमति दी है। सरकार का तर्क है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के आधार पर हुई थी, जिससे अन्य विभागों के कर्मचारियों के लिए भी नियमितीकरण की मांग उठ सकती है।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का मामला लटक गया है। सरकार हाईकोर्ट के आदेश को डबल बैंच में चुनौती देगी। शिक्षा विभाग ने विधि विभाग की राय मांगी थी। विधि विभाग ने डबल बैंच में चुनौती देने के निर्णय को सही करार दिया गया है।
मंगलवार को विधि विभाग से यह फाइल वापस आई, जिसके बाद विभाग ने इस मामले में आगामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही इसको लेकर चुनौती दी जाएगी।
इस कारण दी गई चुनौती
कहा गया है कि ये शिक्षक आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त किए गए हैं। हालांकि इनका कार्यकाल काफी लंबा है, लेकिन अन्य विभागों में इसी आधार पर जो कर्मचारी नियुक्त हैं, वे भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। आने वाले दिनों में कानूनी मामले और ज्यादा बढ़ेंगे, इसलिए इसे चुनौती देने का निर्णय लिया गया है।
सितंबर में हाई कोर्ट ने दिया था आदेश
सितंबर में हाई कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कंप्यूटर अध्यापकों को राहत देते हुए उन्हें नियमित करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने मनोज कुमार शर्मा व अन्य द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए सरकार को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ताओं को कम से कम वर्ष 2016 से नियमित करें, जब से उन्होंने याचिकाएं दायर की हैं।
हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार के तथ्यों को नकारते हुए कहा कि निष्क्रियता के कारण अदालत को रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करना आवश्यक है।
कोर्ट ने 12 सप्ताह का दिया था समय
कोर्ट ने शिक्षा विभाग को 12 सप्ताह में संपूर्ण कार्यवाही पूरा करके तत्काल याचिका दायर करने की तारीख से कम से कम पीएटी, जीवीयू और पीटीए श्रेणियों के साथ याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने का निर्देश दिया था। सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) को शैक्षणिक सत्र 2000-2001 के दौरान राज्य के 234 स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए एक अतिरिक्त विषय के रूप में पेश किया गया था।
1326 कंप्यूटर शिक्षक कार्यरत
सरकारी स्कूलों में 1326 कंप्यूटर शिक्षक कार्यरत है। उन्हें स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा नियोजित किया गया है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर स्कूलों में विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने दिया था तर्क
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि नई भर्ती के लिए उनके मौके कम हो गए थे क्योंकि उन्होंने 40 वर्ष की उम्र को पार कर लिया है। प्रार्थियों का यह भी कहना था कि जिस तरह पीटीए, ग्रामीण विद्या उपासक और पैरा शिक्षकों को नियमितीकरण का लाभ दिया गया, वह भी समानता के अधिकार के आधार पर नियमितीकरण का अधिकार रखते हैं।
जनवरी 2016 में दायर की थी याचिका
याचिकाकर्ताओं द्वारा जनवरी 2016 में याचिका दायर की गई थी। सरकार ने स्कूलों में विषय की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए पीजीटी सूचना विज्ञान अभ्यास (पीजीटी आइपी) का कैडर भी बनाया है। सरकार ने याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना का इस आधार पर विरोध किया था कि उन्हें नियमितीकरण का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि वे प्रचलित सेवा नियमों के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

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