हिमाचल सरकार लेगी 300 करोड़ रुपये का ऋण, कहां खर्च होगी रकम; कितना पहुंच गया लोन का आंकड़ा?
हिमाचल प्रदेश सरकार 300 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है, जिससे राज्य पर कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा। इस राशि का उपयोग विकास कार्यों और जरूरी खर्चों के लिए किया जाएगा। सरकार को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए राजस्व बढ़ाने और खर्चों को कम करने की आवश्यकता है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, शिमला। वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हिमाचल सरकार फिर 300 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए लिया जाएगा, जिसे वर्ष 2040 तक चुकाना होगा। नीलामी की प्रक्रिया 18 नवंबर तक पूरी की जाएगी और 19 नवंबर को यह राशि सरकार के खाते में आ जाएगी।
इस ऋण के बाद हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज का आंकड़ा 1,02,075 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। राज्य पहले ही एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज ले चुका है, जो भविष्य के लिए चिंताजनक स्थिति है।
कहां खर्च होगी यह राशि
प्रधान सचिव वित्त द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया है कि इस राशि का उपयोग विकास कार्यों में किया जाएगा। वर्तमान में हिमाचल के वित्तीय हालात संतोषजनक नहीं हैं। हालांकि, सरकार ने वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं और कुछ हद तक सफलता भी प्राप्त की है, लेकिन 31 मार्च तक प्रदेश की वित्तीय स्थिति में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।
ऋण सीमा बढ़ाने की मांग कर रही सरकार
दिवाली से पहले राज्य सरकार ने कर्मचारियों को डीए की किस्त जारी करने की घोषणा की थी, जिसकी राशि भी जारी की जा चुकी है। राज्य सरकार केंद्र से ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही है, लेकिन केंद्र ने अभी तक कोई छूट नहीं दी है।
हर महीने चुकानी होती हैं 2800 करोड़ की देनदारियां
वर्तमान में सरकार को प्रति माह लगभग 2,800 करोड़ रुपये की देनदारियां चुकानी होती हैं, जिसमें वेतन के लिए 2,000 करोड़ रुपये, पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये, पहले लिए गए ऋण के ब्याज के लिए 500 करोड़ रुपये और कुल कर्ज का मूलधन चुकाने के लिए 300 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है।
इस सरकारी ऋण से प्राप्त राशि का उपयोग हिमाचल के विकास कार्यक्रमों पर किया जाएगा। केंद्र सरकार की सहमति भी संविधान के अनुच्छेद 293(3) के तहत प्राप्त कर ली गई है।

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