अब मंदिरों के भरोसे चलेगी हिमाचल सरकार? CM सुक्खू ने मांगी आर्थिक मदद, जयराम ठाकुर ने बताया शर्मनाक
हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच सुक्खू सरकार (Himachal News) ने मंदिरों से आर्थिक मदद मांगी है। इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए सनातन विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मंदिरों की जमा पूंजी पर सरकार की नजर शर्मनाक है। भाजपा इसे किसी भी सूरत में नहीं होने देगी।

जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच प्रदेश में आपदा के उभरने और योजनाओं के संचालन के लिए सुक्खू सरकार की नजर अब धार्मिक ट्रस्टों और मंदिरों पर है। यही कारण है कि प्रदेश के बड़े मंदिरों को पत्र लिखकर पैसों की मदद मांगी गई है। इस पर प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सुक्खू सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की है।
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर सनातन विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिरों की जमा पूंजी पर सरकार की नजर शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इसे किसी भी सूरत में नहीं होने देगी।
सरकार के इस निर्णय का सड़क से सदन तक विरोध किया जाएगा। सुंदरनगर में मीडिया के प्रतिनिधियों से अनौपचारिक बात करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा मंदिरों से जबरन धनराशि लेने के लिए प्रशासनिक दबाव बनाया जा रहा है।
यह न केवल सनातन परंपराओं का अपमान है, बल्कि प्रदेश की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले भी अपने बयानों में सनातन विरोधी मानसिकता जाहिर कर चुके हैं और अब सरकार अपने इसी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।
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फोटो कैप्शन: हिमाचल में प्रसिद्ध कांगड़ा मंदिर
सरकारी योजनाओं का पैसा प्रचार में खर्च किया
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने अपने फ्लैगशिप कार्यक्रमों के प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन योजनाओं के वास्तविक लाभार्थियों को कोई राहत नहीं मिली। सुखाश्रय योजना के तहत पढ़ने वाले छात्रों की फीस न जमा होने का मामला इसका स्पष्ट उदाहरण है।
सुख शिक्षा योजना के लिए भी केवल 1.38 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे। प्रदेशभर में जगह-जगह मुख्यमंत्री की योजनाओं के होर्डिंग्स, पोस्टर और विज्ञापन लगे हुए हैं, लेकिन जब इन योजनाओं को संचालित करने की बात आई, तो सरकार के पास धनराशि नहीं थी। अब सरकार मंदिरों से पैसा लेकर अपनी नाकाम योजनाओं को चलाना चाहती है।
आपदा के समय मंदिरों ने हमेशा दिया योगदान
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के मंदिर हमेशा आपदा और आपात परिस्थितियों में सरकार की मदद के लिए आगे आए हैं, लेकिन पहली बार सरकार योजनाओं के लिए जबरन मंदिरों की जमा पूंजी पर कब्जा करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि मंदिरों की धनराशि को इस तरह से मांगा गया हो।
भाजपा करेगी सड़कों पर विरोध
नेता प्रतिपक्ष ने स्पष्ट किया कि भाजपा इस निर्णय को लागू नहीं होने देगी। उन्होंने प्रदेशवासियों से भी आह्वान किया कि वह सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध आवाज उठाएं। सरकार को जनता के कल्याण के लिए काम करना चाहिए। न कि मंदिरों के धन पर नजर गड़ाकर सनातन परंपराओं का अपमान करना चाहिए।
मुख्यमंत्री को यह समझ लेना चाहिए कि उनकी झूठ और ठगी की दुकान प्रदेश में नहीं चलने वाली है। सरकार को झूठे वादों से बचना चाहिए और जनहित में ठोस कार्य करने चाहिए।

फोटो कैप्शन: नयनादेवी मंदिर परिसर में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल को सम्मानित करते हुए पुजारी
राजीव बिंदल ने भी साधा निशाना
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने भी शुक्रवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। राजीव बिंदल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक पत्र जारी कर मंदिरों के चढ़ावे को सरकारी कोष के माध्यम से प्रदेश के विकास कार्यों में खर्च करने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि हजारों साल से जो भारतीय संस्कृति व सनातन संस्कृति है, उनका ये बड़े मंदिर आधार रहे हैं। यहां पर जो धर्मादा समाज देकर जाता है उससे धार्मिक कार्यों का विस्तार होता रहा है। अन्यथा अन्य विकास कार्य के लिए इन मंदिरों के धन का उपयोग कदापि हिंदू समाज और संस्कृत के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुछ बड़े मंदिर हैं जहां चढ़ावा ज्यादा है तथा हजारों ऐसे छोटे-छोटे मंदिर हैं जिनके पाक प्रतिदिन की धूप-बत्ती करने के लिए भी पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। इन बड़े मंदिरों के माध्यम से छोटे मंदिरों में व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस प्रकार की नियमावली पहले ही हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई जा चुकी है। उस नियमावली के माध्यम से उन छोटे मंदिरों का रखरखाव तथा सामग्री की व्यवस्था व कार्य करने वाले पुजारियों के भरण पोषण की व्यवस्था उन पर खर्च होना चाहिए। गौशालाओं का संचालन भी ऐसे मंदिरों के अधीन किया जा सकता है।

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